MP News: रंग-बिरंगे कपड़ों में मनाएंगे गणतंत्र दिवस! सरकारी स्कूलों में अब तक नहीं बांटे गए यूनिफॉर्म
Bhopal News: बच्चों को यूनिफार्म नहीं देने के पीछे शिक्षा विभाग के अफसर बजट का अभाव बता रहे हैं. अधिकारियों के अनुसार नया बजट मिलने के बाद ही यूनिफार्म वितरण का काम हो सकेगा.
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में एक ओर बीजेपी (BJP) की सरकार 'विकसित भारत यात्रा' निकाल रही है, लेकिन दूसरी ओर प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र यूनिफार्म मिलने की आशा में रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर स्कूल जाने के लिए मजबूर हैं. 2023-24 का आधा से ज्यादा सत्र बीत गया है, लेकिन अब तक सरकारी स्कूलों में यूनिफार्म वितरण नहीं हो सका है. नतीजतन स्वतंत्रता दिवस के बाद अब सरकारी स्कूलों के बच्चे 75वां गणतंत्र दिवस भी रंग-बिरंगे कपड़ों में ही मनाएंगे.
बता दें प्रदेश के स्कूलों में 2023-24 का आधे से ज्यादा सत्र बीत चुका है. एक महीने बाद वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी, लेकिन अब तक प्रदेश के प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में ड्रेस वितरण नहीं हुआ है. ऐसे में अब भी बच्चे रंग-बिरंग कपड़ों में ही स्कूल पहुंच रहे हैं. जबकि खास बात यह है कि इन बच्चों को 15 अगस्त से पहले ही ड्रेस वितरण होना था, लेकिन 15 अगस्त के बाद अब 26 जनवरी भी आने वाली है. ऐसे में बच्चों को स्वतंत्रता दिवस के बाद अब गणतंत्र दिवस का पर्व भी रंग-बिरंगे कपड़ों में ही मनाना पड़ेगा.
बजट का अभाव
गौरतलब है कि प्रदेश में कुल 94 हजार 39 सरकारी स्कूल हैं, इनमें 13 लाख 98 हजार 445 छात्र रजिस्टर हैं, जिनमें 7 लाख 27 लाख 777 छात्र, जबकि 6 लाख 70 हजार 668 छात्राएं पढ़ती हैं. इनमें पहली से आठवीं तक के बच्चों को ड्रेस देने का प्रावधान हैं. इधर बच्चों को ड्रेस नहीं देने के पीछे शिक्षा विभाग के अफसर बजट का अभाव बता रहे हैं. अधिकारियों के अनुसार नया बजट मिलने के बाद ही यूनिफार्म का वितरण का काम हो सकेगा. बजट नहीं मिलने की वजह से स्व-सहायता समूहों ने ड्रेस बनाने का काम ही शुरू नहीं किया है.
दो जोड़ी ड्रेस का है नियम
बता दें बच्चों को स्कूल से जोड़कर शिक्षा देने के उद्देश्य से स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले पहली कक्षा से आठवीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं को हर साल नि:शुल्क दो जोड़ी ड्रेस (यूनिफार्म) दिए जाते हैं. इन छात्रों को हर साल 600 रुपये की राशि दी जाती है, जिससे यह दो जोड़ी यूनिफार्म खरीदते हैं. हर साल 15 अगस्त से पहले यह प्रक्रिया पूरी की जाती है.
खास बात यह है कि कोरोना काल में बच्चों को राशि दी जाती थी, लेकिन कोराना महामारी के बाद बच्चों की ड्रेस का काम स्व सहायता समूह द्वारा किया जाता है, लेकिन बीते दो सत्रों से बच्चों को स्कूली ड्रेस का इंतजार है. प्रभारी कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है कि साल 2022 की ड्रेस बच्चों को मिल गई है. 2023-24 का ड्रेस बजट आएगा तो बच्चों को दिया जाएगा.