Madhya Pradesh News: भारत के अंदर पर्यावरणीय दशाओं में मध्य प्रदेश को बाघों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान माना जाता है. मध्य प्रदेश में सबसे अधिक बाघ पाए जाते हैं. इसके बाद भी अलग-अलग कारणों के चलते बीते कुछ महीनों में बाघों की सबसे अधिक मौतें भी मध्य प्रदेश में ही हुई हैं. यदि पर्यावरणीय आंकड़ों पर नजर डालें तो मध्य प्रदेश के अंदर बीते कुछ महीनों में 27 बाघों की मौत हुई है. यह महाराष्ट्र और कर्नाटक के मुकाबले कई गुना अधिक है.


बाघों की मौत के मामले में नंबर वन 
इन्हीं आंकड़ों के चलते बाघों की मौत के मामले में मध्य प्रदेश नंबर वन बन गया है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से उपलब्ध कराई गई सूची के अनुसार पिछले 6 महीनों में असम, केरल, राजस्थान, यूपी, आंध्र प्रदेश, बिहार सहित मध्य प्रदेश में बाघों की मौतें हुई हैं. इन मौतों का अलग-अलग कारण बताया जा रहा है. बाघों की मौत चिंताजनक विषय बन गया है.


क्या है बाघों के मौत की वजह
वन्य जीव विशेषज्ञों के मुताबिक मध्य प्रदेश में बाघों की अधिक संख्या के चलते अपनी-अपनी टेरिटरी में बाघों के बीच संघर्ष मौत का बड़ा कारण है. बाघों के आपसी संघर्ष से उनकी मृत्यु हो जाती है. इसके अलावा बीमारी और वृद्धावस्था भी बाघों की मौत का महत्वपूर्ण कारण है. मध्य प्रदेश भारत के उन राज्यों में शुमार है जिनमें बाघ सबसे सुरक्षित माने जाते हैं. साथ ही साथ यहां बाघों की संख्या भी अधिक है. मध्य प्रदेश को देश में टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है.


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आरटीआई एक्टिविस्ट ने क्या कहा
आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने आरोप लगाया कि केंद्र ने एसटीपीएफ (स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स) का समर्थन करने के लिए बजटीय प्रावधान किए हैं, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने अपने निहित स्वार्थों के कारण अबतक इसका गठन नहीं किया. उन्होंने कहा कि बल स्थापित हो जाता तो यह अवैध शिकार के अलावा अवैध खनन और वन क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई जैसी अन्य गतिविधियों पर भी रोक लगती. कर्नाटक, ओडिशा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में एसटीपीएफ बनाए गए हैं. इसके उनके परिणाम भी वहां दिखाई दे रहे हैं. कर्नाटक में बाघों की बड़ी आबादी होने के बावजूद मध्य प्रदेश की तुलना में वहां बाघों की मृत्यु दर कम है.


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