Muslim Installed 3700 kg Bell in Madhya Pradesh Temple: मेहनत, लगन, बुद्धि और अनुभव अगर एक साथ मिल जाए तो फिर हर मुश्किल आसान हो जाती है. मंदसौर (Mandsaur) के पशुपतिनाथ मंदिर (Pashupatinath Temple) परिसर में जिला प्रशासन और मंदिर समिति एक महा घंटाल को लेकर कई दिनों से परेशान थी. लेकिन, दूसरी कक्षा पास एक शख्स ने अपनी सूझबूझ से प्रशासन और मंदिर समिति की समस्या को चुटकी में हल कर दिया. कारीगर ने से 37 क्विंटल वजनी घंटाल को मंदिर में आसानी से स्थापित कर दिया.
इंजीनियर और आर्किटेक्ट ने हाथ खड़े कर दिए
मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर में सहस्त्र महादेव मंदिर भी स्थापित है. इस मंदिर में लगाने के लिए 37 क्विंटल वजनी घंटाल का निर्माण कराया गया. 6 माह तक कारीगरों ने इस बड़े घंटाल का निर्माण किया. जब इसे मंदिर में लगाने की बारी आई तो कई इंजीनियर और आर्किटेक्ट ने हाथ खड़े कर दिए, जिसके बाद मंदिर समिति और जिला प्रशासन की परेशानी बढ़ गई. इसी बीच मंदसौर के ही रहने वाले नाहरु खान नाम के कारीगर को बुलाया गया और उसके सामने समस्या रखी गई. उसने चंद दिनों का समय मांगा और फिर एक ऐसा स्ट्रक्चर तैयार किया जिस पर आराम से घंटा स्थापित किया जाए सके. इसके बाद क्रेन के माध्यम से घंटे को मंदिर परिसर में लगा दिया गया.
काम आया अनुभव
कारीगर की कारीगरी देखकर प्रशासनिक अधिकारी और मंदिर समिति के लोग भी हतप्रभ रह गए. नाहरु ने एबीपी न्यूज़ से चर्चा के दौरान बताया कि उनके द्वारा महाकालेश्वर मंदिर में पूर्व में सेंसर वाली घंटी भेंट की गई है. ये घंटाल भी उनके लिए चुनौती भरा था लेकिन ऊपर वाले के आशीर्वाद से उन्होंने जटिल समस्या को बड़े ही आसान ढंग से सुलझा लिया. उन्होंने बताया कि वो कक्षा दूसरी तक पढ़े लिखे हैं लेकिन घंटी को लेकर उनका लंबा अनुभव है. यही अनुभव उन्हें यहां भी काम आया.
25 क्विंटल तांबा और पीतल का आया दान
मंदिर में घंटाल का विचार जब समिति के सदस्यों के बीच आया तो उन्होंने 6 माह तक पीतल और तांबे का दान एकत्रित किया. मंदिर समिति को अलग-अलग माध्यम से 25 क्विंटल तांबा और पीतल दान के माध्यम से प्राप्त हुआ. इसके बाद उनके द्वारा घंटा बनवाने का ठेका गुजरात के कारीगरों को दिया गया. इस पर लगभग 36 लाख रुपए खर्च किए गए हैं जबकि निर्माण करने वाले कारीगरों ने 3 लाख का पारिश्रमिक लिया है.
नाहरू जैसी है मकबूल की भी कहानी
जब सहस्त्र महादेव मंदिर में कई टन वजनी शिवलिंग की स्थापना की जा रही थी, उस समय भी जिला प्रशासन और मंदिर के समिति के सामने समस्या खड़ी हो गई थी लेकिन निरक्षर मकबूल खान ने बड़ी आसानी से शिवलिंग को बर्फ की सिल्ली पर रखकर स्थापित करवा दिया. इस दौरान मकबूल के दिमाग की भी खूब तारीफ हुई थी और अब घंटे को लेकर नाहरू चर्चाओं में हैं.
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