Madhya Pradesh: ज्योतिष शास्त्र (Astrology) तिथि के अनुसार चलता है. 26 जनवरी 1950 को जिस तिथि में गणतंत्र (Republic) की स्थापना हुई थी वही तिथि कल थी. यही वजह है कि, उज्जैन (Ujjain) के बड़ा गणपति मंदिर (Ganpati Temple) में गणतंत्र दिवस (Republic Day) बुधवार को मनाया गया. कल ही भगवान गणपति (Lord Ganpati) की आराधना (Worship) का विशेष पर्व (Special Festival) भी माना गया. 


उज्जैन (Ujjain) में श्री गणेश (Shri Ganesh) को साक्षी मानते हुए गणतंत्र दिवस मनाया
उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) के ठीक पीछे बड़ा गणपति के नाम से विशाल मंदिर है. यहां पर गणपति की विशाल प्रतिमा है. यहां पर पूजा अर्चना का विशेष महत्व माना गया है. ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद शंकर व्यास (Astrologer Pandit Anand Shankar Vyas) के मुताबिक, "गणतंत्र की स्थापना माघ शुक्ल (Magh Shukla) की अष्टमी को हुई थी. बुधवार को यही तिथि थी और इस तिथि के मुताबिक बड़ा गणपति मंदिर में भगवान श्री गणेश को साक्षी मानते हुए गणतंत्र दिवस मनाया गया.


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शास्त्र तिथि के मुताबिक होने वाले गणतंत्र का विशेष महत्त्व
भगवान श्री गणपति के मंदिर में विशाल पताका (Giant Flag) लहराई गई. इसके साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु (Devotees) भी दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंचे.पंडित व्यास के मुताबिक, "शुरुआत से ही गणतंत्र दिवस यहां पर तिथि के अनुसार मनाया जाता है. हर साल माघ पक्ष की अष्टमी को मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होती है, इस दिन श्रद्धालु भी अपनी पताका लेकर मंदिर दर्शन के लिए आते हैं." पंडित व्यास के मुताबिक, "आज के दिन श्रद्धालुओं को अपने घरों में रहकर भी भगवान श्री गणेश की आराधना करना चाहिए, ताकि हमारा गणतंत्र विश्व का सबसे मजबूत गणतंत्र बना रहे."


गणतंत्र स्थापित करने के लिए शुरू हुआ था गणेश उत्सव (Ganesh Utsav)
ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद शंकर व्यास के मुताबिक, "114 साल पहले लोकमान्य तिलक ने अंग्रेजों के विरुद्ध भारतीयों को एकजुट करने के लिए गणेश उत्सव शुरू किया था. भगवान श्री गणेश गणतंत्र के देवता हैं, इसलिए उन्होंने भारतीयों की अलग-अलग स्थानों पर एकजुटकर सभाएं करने के लिए गणेश उत्सव शुरुआत की गई थी. उज्जैन में बड़ा गणपति की स्थापना पंडित नारायण महाराज ने लोकमान्य तिलक (Lokmanya Tilak) से हुई मुलाकात के बाद की थी. अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई और भारत में गणतंत्र की स्थापना करना उस समय बहुत ही बड़ा कार्य था, इसलिए बड़े कार्य हेतु बड़े गणेश की स्थापना की गई. 


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