Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों (Assembly Election) में बीजेपी (BJP) के टिकट पर चुनाव लड़ने का सपना संजोए नगर और जिला अध्यक्ष के सपनों पर बीजेपी आलाकमान ने पानी फेर दिया है. आलाकमान की ओर से एक नया नियम लाया गया है. इसके तहत अगर नगर अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष को चुनाव लड़ना है तो उन्हें पहले इस्तीफा देना होगा. यह अभी कथन है. इसे अमल में लाया जाएगा या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा.


दरअसल, पिछले दिनों भोपाल (Bhopal) के नजदीक एक रिसॉर्ट में बीजेपी के बड़े नेताओं की एक बैठक आयोजित हुई थी. इसमें हितानंद शर्मा (Hitanand Sharma) और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव (Muralidhar Rao) भी शामिल हुए थे. खबर यह है कि बीजेपी की उस बैठक में यह तय किया गया है कि यदि पार्टी संगठन का कोई पदाधिकारी चुनावी राजनीति में अपनी किस्मत आजमाना चाहता है, तो उसे संगठन के अपने पद से इस्तीफा देना होगा.


बीजेपी संगठन के कई नेताओं को टिकट की आस
बीजेपी के बड़े नेताओं द्वारा किए गए इस ऐलान के बाद बैठक में मौजूद कई नेताओं के कान खड़े हो गए. क्योंकि बीजेपी में कई ऐसे नेता हैं जिनके पास संगठन में अहम जिम्मेदारी हैं, लेकिन वो 2023 में विधानसभा चुनाव लड़ने की भी इच्छा रखते हैं. अगर वह बतौर उम्मीदवार अपनी दावेदारी पेश करना चाहते हैं, तो पहले उन्हें संगठन की जिम्मेदारी से मुक्त होना पड़ेगा. वहीं बात करें भारतीय जनता पार्टी के इंदौर शहर अध्यक्ष गौरव रणदिवे की तो वो इंदौर विधानसभा क्रमांक 5 से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. वहीं जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर भी भारतीय जनता पार्टी का टिकट चाहते हैं.


उपचुनाव में जीते तुलसी सिलावट
बता दें कि राजेश सोनकर सांवेर के विधायक रह चुके हैं. वो साल 2018 में भी सांवेर विधानसभा से बीजेपी के प्रत्याशी थे. हालांकि इस चुनाव में वो कांग्रेस के तत्कालीन प्रत्याशी तुलसी सिलावट के हाथों हार गए थे. इसके बाद साल 2020 में  ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 22 समर्थकों के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. जिसके कारण कमलनाथ की सरकार गिर गई. इन 22 विधायकों में तुलसी सिलावट भी शामिल थे. सिलावट के बीजेपी में आने के बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी ने सिलावट को ही सांवेर से अपना प्रत्याशी घोषित किया और उन्होंने जीत भी दर्ज की.


तुलसी सिलावट कटना मुश्किल
जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर भले ही विधानसभा टिकट की दावेदारी कर रहे हो, लेकिन तुलसी सिलावट ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास हैं और उनका टिकट कटना लगभग नामुमकिन सा लग रहा है. बीजेपी के इंदौर जिला और शहर अध्यक्ष टिकट की दावेदारी तो कर ही रहे हैं. साथ ही उनका कार्यकाल भी एक बार बढ़ाया जा चुका है. ऐसे में उनका टिकट मांगना उन्हें संगठन की जिम्मेदारी से मुक्त कर सकता है.


हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने ऐसे कई जिला प्रभारियों को रवानगी दे दी है, जो चुनाव लड़ने का इशारा कर रहे थे. अंदर की खबर यह भी है कि यदि कोई संगठन का पदाधिकारी चुनाव लड़ना चाहता है, तो उसे सार्वजनिक इस्तीफा देने की जरूरत भी नहीं है. वह केवल किसी बड़े नेता को बता दे तो उसकी जगह दूसरी नियुक्ति कर दी जाएगी.


बीजेपी संगठन पदाधिककारियों को चुनाव लड़वाने के मूड में नहीं
इंदौर में जिला अध्यक्ष सोनकर को लेकर तो कोई विरोध नहीं है, लेकिन नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे को चुनाव से पहले हटाने की बात होने लगी है. बीजेपी संगठन पदाधिकारियों को चुनाव लड़वाने के मूड में नहीं दिख रही है. क्योंकि संगठन पदाधिकारियों के चुनाव लड़ने से अन्य नेता विरोध करते हैं और बीजेपी चुनावी साल में कोई विरोध देखना नहीं चाहती.


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