Madhya Pradesh Elections 2023: दस दिन के अंतराल में बुंदेलखंड की धरती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की चुनावी गर्जना सुनाई देगी.मध्य प्रदेश के सबसे ज्यादा पिछड़े बुंदेलखंड इलाके के दलित वोटरों को साधने के लिए मल्लिकार्जुन खरगे मंगलवार (22 अगस्त) को सागर में चुनावी सभा करने जा रहे हैं.राज्य की दलितों (अनुसूचित जाति) के लिए आरक्षित 35 सीटों के गणित के हिसाब से इसी वर्ग से आने वाले नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बुंदेलखंड दौरे को बेहद अहम माना जा रहा है.
बुंदलेखंड की लड़ाई
ऐसा प्रतीत होता है कि मध्य प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र (जिसकी सीमा उत्तर प्रदेश से लगती है) विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस के लिए युद्ध का मैदान बनता जा रहा है. दरअसल,12 अगस्त को सागर में 100 करोड़ की लागत से बनने वाले संत रविदास के मंदिर और स्मारक की आधारशिला रखने के बाद अगले माह यानी सितंबर में पीएम मोदी एक बार फिर इसी जिले की बीना रिफायनरी के विस्तार से जुड़े कार्यक्रम में शिरकत करने वाले हैं.कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी वोटरों साधने के लिए मंगलवार दोपहर 12 बजे सागर में एक आमसभा को संबोधित करेंगे.
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष खरगे 13 अगस्त को सागर में आमसभा को संबोधित करने वाले थे. खरगे के इस कार्यक्रम के बहाने कांग्रेस मुख्य रूप से दलितों लिए आरक्षित 35 सीटों सहित उनके प्रभाव वाली 54 सीटों तक अपनी पहुंच बनाना चाहती थी, लेकिन अचानक पीएम मोदी के सागर दौरे का कार्यक्रम फिक्स होने से ऐसा नहीं हो सका. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि खरगे की यात्रा से एक दिन पहले बीजेपी ने पीएम की सागर की रैली का कार्यक्रम घोषित कर दिया. इसके बाद उनकी यात्रा स्थगित कर दी गई.
अगले महीने फिर आ सकते हैं पीएम नरेंद्र मोदी
बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी के सितंबर के पहले पखवाड़े में बीना रिफाइनरी के विस्तार से जुड़े एक समारोह में सागर जिले की एससी आरक्षित सीट बीना का फिर से दौरा करने की उम्मीद है.पिछले 11 महीनों में यह मोदी की राज्य की आठवीं यात्रा होगी. पिछले साल 17 सितंबर को उनके जन्मदिन के साथ शुरू हुई थी.उस वक्त उन्होंने कूनो नेशनल पार्क में नामीबियाई चीतों को छोड़ा था.
अब जानते हैं कि बीजेपी और कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व दलित वोटरों को साधने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर क्यों लगा रहा है.राज्य के एक दलित नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति की कुल आबादी में से 68 प्रतिशत संत रविदास की जाति (चमड़े के कारोबार से जुड़ी) से हैं. इसमें खासकर सतनामी, अहिरवार, जाटव आते हैं. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक एमपी में दलितों की आबादी 1.13 करोड़ से ज्यादा थी. इसी वजह से इस चुनाव में दलित राजनीति संत रविदास के आसपास घूम रही है.
2018 में बीजेपी-कांग्रेस का प्रदर्शन
यहां बताते चलें कि साल 2018 के चुनाव में बुंदेलखंड एससी के लिए आरक्षित छह सीटों में से बीजेपी ने पांच सीटें जीती थीं. बीना, नरयावली, जतारा, चंदला और हट्टा सीट बीजेपी के खाते में गई थीं.जबकि कांग्रेस केवल गुन्नौर सीट जीत पाई थी.इसी तरह साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बुंदेलखंड के छह जिलों सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह और पन्ना में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था.दलितों की अच्छी संख्या वाली बुंदेलखंड की 26 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 15 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को नौ सीटों से संतोष करना पड़ा था.एक सीट समाजवादी पार्टी और एक बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई थी. आठ सीटों वाले सागर जिले में 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने छह और कांग्रेस ने सिर्फ दो सीटें जीतीं थीं.
गौरतलब है कि पिछली बार मध्य प्रदेश में दलितों के लिए आरक्षित 35 सीटों में से बीजेपी ने 18 और कांग्रेस ने 17 सीटें जीती थीं.2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 2013 की तुलना में 13 सीटें (एससी आरक्षित) अधिक जीतीं थी. बीजेपी को 10 सीटों के नुकसान के कारण मध्य प्रदेश में 15 महीने के लिए विपक्ष में बैठना पड़ा था.
बुंदेलखंड में बीजेपी
राजनीति के जानकार कहते हैं कि बीजेपी बुन्देलखण्ड क्षेत्र विशेषकर सागर जिले में अंदरूनी कलह से जूझ रही है.यहां शिवराज सरकार के तीन शक्तिशाली मंत्री हैं,जो एक-दूसरे को बौना दिखाने की कोशिश कर रहे हैं.इसके विपरीत, कांग्रेस के पास बुन्देलखण्ड क्षेत्र में कोई शक्तिशाली और प्रभावी चेहरा नहीं है.लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के दौरे के बाद वह इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बनाने का प्रयास कर रही है.
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