मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने मंगलवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह पर एक मामले में 10 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई है. कोर्ट ने डॉ गोविंद सिंह के उस आवेदन को भी खारिज कर दिया जिसमें प्रकरण की सुनवाई के लिए बेंच बदलने की मांग की गई थी. पूरा मामला केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के राज्यसभा निर्वाचन को लेकर दायर चुनाव याचिका से जुड़ा है.


याचिका की सुनवाई जस्टिस दीपक अग्रवाल की सिंगल बेंच ने की. कोर्ट ने कहा कि जब याचिकाकर्ता अपने मामले को उनकी बैंच में सुनवाना नहीं चाहता था तो बैंच बदलने के लिए चीफ जस्टिस के यहां आवेदन पेश करना था. उन्हें बैंच पर गलत आरोप नहीं लगाने थे. इस मामले में अब अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी.


बताते चले कि साल 2020 में डॉ. गोविंद सिंह ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के राज्यसभा निर्वाचन को लेकर चुनाव याचिका दायर की है. इसमें सिंधिया के खिलाफ भोपाल के श्यामला हिल्स थाने में दर्ज केस की जानकारी छिपाने का उल्लेख किया गया है. याचिका में इसके आधार पर निर्वाचन शून्य करने की मांग की गई है. यह याचिका जस्टिस दीपक अग्रवाल की बेंच में लिस्ट थी. इसी बीच डॉ. सिंह ने न्यायालय में बेंच बदलने के लिए आवेदन पेश कर दिया. इस आवेदन में हाई कोर्ट पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का पक्ष लेने का आरोप लगाया गया. उनके अधिवक्ता बार-बार समय ले रहे थे,लेकिन न्यायालय ने 15 सितंबर को बहस के लिए अंतिम मौका दिया था.


जस्टिस दीपक अग्रवाल ने मंगलवार को इस केस की सुनवाई के दौरान कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई, जिसे खारिज कर दिया गया. इसके बाद हाई कोर्ट में आवेदन देते हुए याचिका की सुनवाई किसी अन्य कोर्ट में कराने की गुहार लगाई.साफ तौर पर ये प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट पर दबाव बनाने के लिए ये आवेदन प्रस्तुत किया और इसीलिए बेंच के खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए. यदि याचिकाकर्ता, चुनाव याचिका की सुनवाई इस बेंच में कराने के इच्छुक नहीं थे, तो उन्हें ये आवेदन हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए था.


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