Madhya Pradesh Election 2023 News: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार भी समाजवादी पार्टी अपनी किस्मत आजमा रही है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीते दिनों एमपी का दौरा किया और आदिवासी के घर खाना भी खाया. इतना ही नहीं सपा नेता ने राज्य की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि मध्य प्रदेश में महिला सुरक्षा को लेकर सरकार संजीदा नहीं है. अखिलेश यादव के बयान और उनकी सक्रियता से अब यह सवाल उठ रहे हैं कि पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों में कितनी मजबूती से खुद को जनता के सामने पेश कर पाएगी.
आंकड़ों के जरिए बात करें तो साल 2018 के विधानसभा चुनाव में 52 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली सपा सिर्फ 1 सीट पर जीत हासिल कर पाई थी और 45 सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी. पार्टी को कुल मतदान में से 4 लाख 96 हजार 25 वोट ही मिले थे. यानी कुल मतदान का सिर्फ 1.30 फीसदी हिस्सा ही पार्टी हिस्से में आया था. पार्टी को साल 2018 के चुनाव में नोटा से भी कम वोट मिले थे.
हालांकि सपा की स्थिति अपने समकक्ष राजनीतिक दलों में सबसे बेहतर दिखती है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार आम आदमी पार्टी को साल 2018 के चुनाव में एमपी में सिर्फ 0.66 फीसदी वोट मिले थे. वहीं BLSP को 0.07%, SHS को 0.17 % जेडीएस को 0% वोट मिले थे.
लेकिन इस बार की परिस्थितियां अलग हैं?
माना जा रहा है कि सपा, I.N.D.I.A. अलायंस में अपनी मजबूती और ज्यादा दम के साथ पेश करने के लिए एमपी चुनाव में एक्टिव है. यूं तो पहले भी सपा के विधायक, एमपी विधानसभा में चुनकर जाते थे लेकिन इस बार की परिस्थितियां अलग हैं.
राज्य में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच कड़ी टक्कर है. वहां सपा की मौजूदगी और कांग्रेस को उसे भाव न देने से संदेश यह जा रहा है कि गठबंधन के नाम पर भले सभी एक हों लेकिन जमीन पर स्थिति अलग है. जानकारों का मानना है कि एमपी चुनाव के आधार पर ही सपा, यूपी में आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान सीटों को लेकर तोलमोल करेगी.
पार्टी के कई नेता यह कह चुके हैं कि एमपी और अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का जैसा रुख सपा के साथ होगा, उसकी झलक यूपी में भी देखने को मिल सकती है. ये देखना दिलचस्प होगा कि एमपी से आस लगाए अखिलेश यादव को राज्य से क्या मिलेगा?