आखिरकार मध्य प्रदेश में नया जिला बनाने वाला बयान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के घर तक पहुंच गया है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा में एक नया जिला बनाने की घोषणा हो गई है. इस घोषणा को लेकर कई रोचक बातें सामने आ रही हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ में सियासी चाल चल दी है. 


पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा पर लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी की नजर रही है. छिंदवाड़ा एकमात्र ऐसा जिला है जो मध्य प्रदेश में कांग्रेस का गढ़ बन गया था. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां पर सातों सीट कांग्रेस के पास चली गई. इसके अलावा लोकसभा में भी प्रदेश की 29 सीटों में एकमात्र छिंदवाड़ा लोकसभा सीट थी जो कांग्रेस के पास है. ऐसे में बीजेपी ने यहां बड़ा सूक्ष्मता के साथ फोकस किया है.


 शिवराज सरकार के मंत्री भी लगातार छिंदवाड़ा में सेंध लगा रहे हैं. यहां पर प्रभारी मंत्री के रूप में शिवराज सरकार के कृषि मंत्री कमल पटेल को जिम्मेदारी दी गई थी. कृषि मंत्री कमल पटेल सभी सातों विधानसभा सीटों पर विजय हासिल करने के लिए रिपोर्ट तैयार की, जिसके बाद यह बात सामने आई की कई लोग नंदनवाड़ी, सौंसर और पांढुर्णा को नया जिला बनना चाहते हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसी रिपोर्ट के आधार पर गुरुवार को छिंदवाड़ा दौरे के दौरान नया जिला बनाने की घोषणा कर दी.


 कृषि कल्याण मंत्री कमल पटेल खुद इस बात को स्वीकारते हैं कि इस बार छिंदवाड़ा पर काफी फोकस रहेगा. उन्होंने अभी कहा कि छिंदवाड़ा के लोग इस बार परिवर्तन चाहते हैं इसीलिए कुछ मांगे जो लंबे समय से उठाई जा रही थी. उनका पूरा करने का काम शिवराज सरकार द्वारा लगातार किया जा रहा है. प्रभारी मंत्री कमल पटेल ने एबीपी न्यूज़ से चर्चा के दौरान अभी कहा कि कमलनाथ ने छिंदवाड़ा को अपनी जागीर समझ लिया था. छिंदवाड़ा से कांग्रेस का सफाया का करने का काम भी शुरू हो गया है.


अब तो मध्य प्रदेश ही हाथ से निकल गया- कांग्रेस 


कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी की रणनीति को लेकर पलटवार किया है. पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के मुताबिक बीजेपी छिंदवाड़ा पर फोकस कर रही है लेकिन अब तो हाथ से मध्य प्रदेश ही निकल गया है. मध्य प्रदेश की जनता इस बार परिवर्तन कर देगी. जिस प्रकार से प्रदेश में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अत्याचार ने पैर पसार लिए हैं, उससे लोग बेहद दुखी है. मध्य प्रदेश में इस बार परिवर्तन के बयार है. यही वजह है कि बीजेपी अपनी आखिरी कोशिश कर रही है.