Balaghat News: सर्राफा कारोबारी ने परिवार सहित चुना अध्यात्म का रास्ता, करोड़ों की संपत्ति दान कर लेंगे दीक्षा
बालाघाट में सर्राफा कारोबारी राकेश सुरैना पत्नी और बेटे के साथ सांसारिक मोह-माया त्यागकर 22 मई को जैन दीक्षा लेंगे. उन्होंने अपनी करोड़ों की संपत्ति गौशाला और अन्य धार्मिक संस्थाओं को दान कर दी है.
बालाघाट: मध्य प्रदेश के बालाघाट के सर्राफा कारोबारी राकेश सुराना ने अपनी 11 करोड़ के करीब की संपत्ति छोड़कर पत्नी और बेटे के साथ अध्यात्म का रास्ता चुन लिया है. सुराना दंपत्ति 22 मई को जयपुर में जैन दीक्षा लेंगे.सांसारिक मोह माया का त्याग करने जा रहे राकेश सुराना ने अपनी करोड़ों की संपत्ति गौशाला और अन्य धार्मिक संस्थाओं को दान कर दी है. परिवार के मुताबिक उन्होंने अपने गुरु महेंद्र सागर से प्रेरिक होकर अध्यात्म की राह पर चलने का फैसला लिया है.
छोटी सी दुकान से शुरू किया था सोने-चांदी का कारोबार
बालाघाट में सोने-चांदी के कारोबारी राकेश सुराना के मुताबिक उनका शुरुआती जीवन काफी कठिन और संघर्षपूर्ण रहा. उन्होंने एक छोटी सी किराए की दुकान से काम शुरू किया था. कड़ी मेहनत और लगन की वजह से उनका कारोबार चल निकला और वे सोने-चांदी के बड़े कारोबारी बन गए. घर में तमाम सुख सुविधा होने के बावजूद कुछ था तो उन्हें अंदर ही अंदर कचोट रहा था. और फिर साल 2015 में उन्होंने गुरु महेंद्र सागर के प्रवचनों को सुना और जैसे उनके अंदर एक नई उर्जा का संचार हो गया और फिर धीरे-धीरे उनका झुकाव अध्यात्म की ओर हो गया.
राकेश सुराना की पत्नी ने यूके से ग्रेजुएट प्ले थैरेपी की पढ़ाई की है
राकेश सुराना बताते हैं उनकी पत्नी लीना सुराना का बचपन से ही संयम पथ पर जाने की इच्छा थी. लीना सुराना अमेरिका से प्रारंभिक शिक्षा हासिल की है. उसके बाद उन्होंने बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. वह यूके से ग्रेजुएट प्ले थैरेपी की पढ़ाई कर चुकी हैं. लीना वर्तमान समय में रायपुर के पास केवल्य धाम में शिक्षा सहित विभिन्न सामाजिक दायित्वों को पूरा कर जैन धर्म का प्रचार-प्रसार कर रही हैं.
लीना और राकेश के बेटे अमन 4 साल की उम्र से ही संयम पथ पर जाना चाहते थे
लीना और राकेश के बेटे अमन का भी चार साल की उम्र से ही संयम पथ पर जाने का मन हो उठा था. लेकिन उम्र कम होने की वजह से वे दीक्षा नहीं ले सकते थे. ऐसे में कई साल के इंतजार के बाद सुराना दंपति बेटे सहित 22 मई को दीक्षा ले रहे हैं और इसी के साथ वे पूरी तरह सांसारिक मोह-माया का त्याग कर देंगे और वैराग्य की राह पर चल पड़ेंगे.
सुराना परिवार के कई सदस्यों ने चुना वैराग्य पथ
बता दें कि सुराना परिवार बालाघाट जिले का सबसे प्रतिष्ठित परिवार है. वे सोने-चांदी के व्यापार के साथ ही सामाजिक कार्यो के लिए जाने जाते हैं. राकेश सुराना से पहले सुराना परिवार के कई सदस्य सांसरिक मोह माया छोड़ चुके हैं. सन 2008 में राकेश सुराना की बहन नेहा सुराना सन्यासी बन चुकी है. 2017 में मां चंदादेवी सुराना ने दीक्षा प्राप्त कर सांसारिक जीवन का त्याग किया था और अब उनके परिवार के तीन सदस्यों ने इसी कठिन राह को अपनाया है.
ये भी पढ़ें