MP Jal Jeevan Mission: मध्य प्रदेश में नल से जल मिले इसके लिए सरकार द्वारा महत्वपूर्ण योजना जल जीवन मिशन लाई गई, लेकिन योजना की कछुआ चाल की वजह से सरकार की मंशा साकार नहीं हो सकी. स्थिति यह है कि मध्य प्रदेश के 18 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों में पेयजल के इंतजाम नहीं है. यही हाल आंगनबाडिय़ों के भी है. 


बता दे कि पूरे देश भर में जल जीवन मिशन एक महत्वपूर्ण योजना के रूप में चलाया गया था, जिसका उद्देश्य लोगों को पेयजल की मूलभूत सुविधा आसानी से उपलब्ध कराना था. इसके अंतर्गत स्कूलों एवं आंगनवाड़ी केंद्रों के अंदर भी शासन को पर्याप्त पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करनी थी, लेकिन मध्यप्रदेश में हालात इसके बिल्कुल उलट नजर आते हैं. प्रदेश के 18000 से अधिक स्कूल मध्य प्रदेश में ऐसे हैं जिनमें आज भी पेयजल की व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते स्कूली बच्चों को बड़ी भारी समस्या उठानी पड़ती है.


23 हजार आंगनवाड़ियां भी अछूती
मालूम हो कि मध्य प्रदेश की 23 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्र ऐसे जहां पीने के पानी के इंतजाम नहीं है. जिसका खामियाजा मासूम बच्चों को और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भुगतना पड़ता है. सूत्रों प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 31 मई तक केवल 174 स्कूलों और आंगनबाड़ी में ही जल जीवन मिशन के अंतर्गत पहुंच सका है. हालात यह है कि जहां नल है वहां पानी नहीं है और जहां पानी हो सकता है वहां नल के ही पता नहीं है. हालात इसलिए भी बद से बदतर है कि इन सुविधाओं की सुध लेने वाला कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति भी कुछ करने को तैयार नहीं है. मध्यप्रदेश का भविष्य बनाने वाले स्कूलों एवं आंगनवाड़ी केंद्रों में जब जल जीवन मिशन के यह हालात है तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के अन्य इलाकों में जल जीवन मिशन के क्या हाल होगा. 


पानी पहुंचाने का प्रयास कर रहे है
इस संबंध में मीडिया ने प्रमुख सचिव पीएचई संजय कुमार शुक्ला से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के अंदर 65 फीसदी से अधिक आंगनबाडिय़ों में जल जीवन मिशन के अंतर्गत पेयजल की व्यवस्था कर दी गई है. लगभग 80 फीसदी स्कूलों में भी पानी पहुंचाया जा चुका है. कुछ स्थानों पर समस्याएं हैं जिसको दूर करने का प्रयास हम लगातार कर रहे हैं. साथ ही साथ इस विषय से जुड़ी कई जिम्मेदारियां स्कूल प्रशासन की बनती है जिन्हें पूरा करना उन्हीं के हाथों में है.


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