भोपाल से 32 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ी पर एक विशाल अधूरा शिव मंदिर है, यह भोजपुर शिव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, इस मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज द्वारा किया गया था.


यह मंदिर प्राकृति के बीचों बीच बनी हुई है, जहां से बेतवा नदी गुजरती है, उसी से सटे इस मंदिर का निर्माण किया गया है, इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह एकलौता ऐसा शिवलिंग है जो एक ही पत्थर से निर्मित किया गया है.


क्यों अधूरा है भोजपुर का शिवलिंग मंदिर


 इस मंदिर के अधूरा होने के पीछे कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण एक रात में ही करना था, जिस वजह से सूर्योदय होने तक इस मंदिर का पूरा निर्माण नहीं हो पाया , जिसके बाद से लेकर आज तक इस मंदिर का कार्य अधूरा ही है, सूर्योदय तक इसके ऊपर के गुंबद तक का ही काम हो पाया था, जिसके बाद से अब तक इस मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है. 





इस मंदिर का निर्माण भारत में इस्लाम के आने से पहले हुआ था, इस मंदिर के छत पर बनी अधूरी गु्म्बद इस बात का प्रमाण है कि इसका कार्य आज भी अधूरा है. इस मंदिर का दरवाजा भी किसी मंदिर के इमारत के दरवाजे से बड़ा है. 


अलग तरह से होती है इस मंदिर में पूजा


इस मंदिर में भगवान शिव के पूजा अर्चना करने का तरीका भी अलग है, शिवलिंग इतना ज्यादा बड़ा है कि खड़े होकर इसका अभिषेक नहीं किया जा सकता है, हमेशा इसका अभिषेक जलहरी पर चढ़कर ही किया जाता है, कुछ समय पहले  श्रद्धालु भी जलहरी तक जाकर पूजा कर सकत थें, लेकिन अब सिर्फ पुजारी ही जा सकते हैं. 


पांडवों ने भी किया था पूजा


मान्यता है कि आज्ञातवास के समय पांडवों की माता कुंती ने इस मंदिर में आकर भगवान शिव की पूजा अर्चना किया करती थी. 


दो बार लगता है मेला


साल में दो बार यहां पर मेला लगता है, एक बार संक्रांति के समय और दूसरा शिवरात्री के समय पर, जिसे देखने के लिए दूर-दराज से लाखों की संख्या में लोग आते हैं. 


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