Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश में राज्य सरकार ने 35 हजार से अधिक किन्नरों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए काम शुरू कर दिया है. सब कुछ ठीक रहा तो किन्नरों को रोजगार और स्कूल-कॉलेज में समान रूप से पढ़ने को मिलेगा. अस्पतालों में उनके लिए अलग से वार्ड भी तैयार किया जाएगा. सुरक्षा के भी पूरे उपाय होगें और किन्नरों को हर सरकारी योजना से जोड़ने के लिए जागरूकता अभियान चलेगा.
पहचान पत्र जारी होगा
सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग में उभयलिंग व्यक्ति अधिकारों का सरक्षंण अधिनियम 2019 के तहत प्रारुप नियम प्रकाशित कर दिया है. विभाग ने नियम के अनुसार लोगों से 1 माह के भीतर दावे आपत्ति मंगाई है. फिलहाल अभी तक कोई भी आपत्ति नहीं आई है. नियम के अनुसार राज्य सरकार किन्नरों के लिए पहचान पत्र जारी करेगी. ये पहचान पत्र 30 दिन में जारी किए जाएंगे. नियमों के प्रकाशन के बाद सरकार किन्नरों के लिए नीति सामने लाएगी. अटल बिहारी वाजपई सुशासन संस्थान ने नीति बनाकर सामाजिक न्याय विभाग को सौंप दी है.
उभयलिंगी बोर्ड का गठन
अन्य कई राज्यों की तरह प्रदेश में भी राज्य उभयलिंगी बोर्ड का गठन किया जाएगा. बोर्ड के अध्यक्ष सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग के मंत्री होंगे. इसमें 2 दर्जन से अधिक विभाग के अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव सदस्य बनाए जाएंगे. किन्नर समुदाय से पांच प्रतिनिधि भी रखे जाएंगे और किन्नरों के कल्याण के लिए कार्य कर रहे दो समाज सेवी भी सदस्य बनेंगे. जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला उभयलिंगी कल्याण बोर्ड का गठन होगा
उनको किसी सरकारी अथवा निजी संगठन, शैक्षणिक संस्थान में भेदभाव बंद करने और कब्रिस्तान और अन्य स्थानों सहित सामाजिक और सार्वजनिक स्थानों में जाने के अधिकार होंगे. अस्पतालों में अलग से वार्ड और शौचालय बनाए जाएंगे. उनके लिए स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र और चिकित्सा शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम में परिवर्तन किया जाएगा. एक समिति भी बनेगी जो किन्नरों को स्कूल या कॉलेज में धमकाने बालों के खिलाफ कार्रवाई करेगी.
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