Bhopal News: दूसरे पति से तालाक ले रही महिला ने मांगे 9 लाख रुपये प्रति माह, कोर्ट ने कहा- शादी कोई लॉटरी नहीं
मध्य प्रदेश में हाईकोर्ट इंदौर खंडपीठ ने एक महिला की दूसरे पति से तालाक के बाद प्रति माह 9 लाख रुपये की डिमांड को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि शादी लॉटरी या उपहार नहीं है.
भोपाल: अक्सर कुछ महिलाएं उनके कल्याण के लिए बनाए गए कानूनों का दुरुपयोग करने से बाज नहीं आती हैं. इस कारण इन महिलाओं के खिलाफ कोर्ट को भी सख्त फैसले लेने पड़ते है. ऐसे ही एक मामले में एक महिला द्वारा दूसरी शादी के एक वर्ष बाद पति से अलग होते हुए अपने और पहले पति से हुए बच्चे के भरण-पोषण हेतु 9 लाख रुपए महीना देने की डिमांड की गई थी. इस मांग के तहत महिला ने 8 लाख रुपये प्रतिमाह खुद के लिए और अपने बच्चे के लिए 1 लाख प्रति माह मांगा था.
हाईकोर्ट ने कहा शादी नही है कोई लॉटरी
दरअसल जिला कोर्ट में जब इस मामले की सुनवाई हुई थी तो अदालत ने 25 हजार रुपए प्रति माह की राशि मंजूर की. इस पर महिला ने हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ से अपील की. वहीं जब इंदौर खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई तो जस्टिस विवेक रुसिया ने टिप्पणी करते हुए कहा कि शादी लॉटरी या उपहार नहीं है जो हर महीने आठ लाख रुपये दिए जाएं. ये कहकर हाईकोर्ट द्वारा महिला की अपील खारीज कर दी गई.
पहले पति से तलाक के बाद एलमुनी के तौर पर लिए थे 30 लाख रुपये
बता दें कि महिला द्वारा पहले पति से भी एलमुनी के तौर पर एक मुश्त 15 लाख और बेटे के भरण-पोषण के लिए भी 15 लाख रुपये की राशि ली गई थी. पहली शादी के तीन साल बाद महिला का तलाक हो गया था. और उसे कुल एलुमनी 30 लाख रुपए मिले थे. तलाक के बाद महिला ने मैट्रिमोनियल साइट के जरिए 2018 में दूसरी शादी की थी. लेकिन एक साल बाद ही महिला ने दूसरे पति के खिलाफ भी दहेड प्रताड़ना और घरेलू हिंसा समेत कई आरोप लगाते हे जिला कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल कर दी थी.
महिला ने कहा था दूसरा पति है करोड़पति
महिला ने कोर्ट में कहा था कि उसका दूसरा पति करोड़पति है और वह हर महीने उसे आठ लाख रुपये भरण-पोषण के लिए दे. और 1 लाख उसके बेटे के लिए दे. महिला ने तलाक के लिए एकमुश्क 50 लाख रुपये की भी डिमांड की थी. लेकिन हाईकोर्ट इंदौर खंडपीठ ने जिला कोर्ट के 25 हजार रुपये प्रति माह देने के आदेश को जायज बताते हुए महिला क अपील खारिज कर दी.
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