Madhya Pradesh: जंगली जानवरों के हमलों को रोकने के लिए उठाए गए बड़े कदम, यहां बाघों में चल रही है वर्चस्व की जंग
MP News: ताकत और रफ्तार के चलते छोटे-बड़े जानवरों को धर-दबोचने वाले बाघों में अब वर्चस्व की जंग हो रही है. बूढ़े बाघ जंगल से पलायन कर गांव खेतों में ठिकाना बना रहे हैं.
Madhya Pradesh Tiger Attak: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कुछ सालों पहले बाघ (Tiger) दिखना चौंकाने वाली घटना थी लेकिन अब बाघ गावों और शहरों में भी अपना ठिकाना बना रहे हैं. पांच सालों में जंगलों से बाहर निकलकर बाघों के बढ़ते हमले भी इसकी तस्दीक कर रहे हैं. वन विभाग (Forest department) के गश्ती कर्मियों को भी अब जंगलों में अक्सर बाघ की आहट मिल रही है. अपनी ताकत और रफ्तार के चलते छोटे-बड़े जानवरों को धर-दबोचने वाले बाघों में अब वर्चस्व की जंग हो रही है. खिवनी अभयारण्य में 'जंगलराज' के लिए युवा बाघ बूढ़े बाघों पर हमलावर हो रहे हैं. इसके चलते बूढ़े बाघ जंगल से पलायन कर गांव खेतों में ठिकाना बना रहे हैं. यहां ये बाघ इंसानों और पालतू जानवरों का आसान शिकार कर रहे हैं.
उठाए गए ये कदम
बाघों के इन हमलों को ध्यान में रखतें हुए सीहोर जिले के इछावर और देवास जिले के खातेगांव से लगे हुए खिवनी अभयारण्य में भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क से चीतलों की शिफ्टिंग की गई है. यहां 100 चीतल छोड़े जाने हैं, जिसमें से हाल ही में 52 चीतल खिवनी अभयारण्य में छोड़ गए हैं. इनकी शिफ्टिंग में बोमा तकनीक अपनाई गई है. चीतलों को ट्रक से परिवहन करके लाया गया.
ये है बड़ी बात
कुसमानिय वन्यप्राणी अभयारण्य खिवनी के वन क्षेत्र में शाकाहारी और मांसाहारी वन्यप्राणियों के अनुपात को संतुलित स्तर पर बनाए रखने के लिए 100 चीतल हिरण, स्पॉटेड डियर अन्य संरक्षित क्षेत्र से प्राप्त करने का आदेश हुआ था. इसी कड़ी में मुख्य वन संरक्षक उज्जैन व वन मंडल अधिकारी देवास के मार्गदर्शन में चीत्तल हिरणों का चौथा जत्था खिवनी अभयारण्य में एक अप्रैल को पहुंच गया. पूर्व में अब तक 42 चीतल हिरण नरसिंहगढ़ अभयारण्य व वन विहार से प्राप्त हुए थे. जिले के एक मात्र वन्यप्राणी अभयारण्य खिवनी मांसाहारी वन्यप्राणीयों बाघ और तेंदुओं का स्थाई निवास स्थल बन चुका है. वर्तमान में हुए बाघ आकलन के आंकड़ों को देखते हुए अभयारण्य में 5 से अधिक बाघ और 20 से अधिक तेंदुए होने का अनुमान है. अभयारण्य में मांसाहारी वन्यप्राणियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिसे देखते हुए 100 चीतल हिरण खिवनी अभयारण्य को प्रदान किए गए हैं. जिसमें अभी तक 52 चीतल हिरण का वेटरनरी डॉक्टर एवं वन स्टाफ की उपास्थिति मे सफलतम स्थानांतरण किया गया है.
आबादी क्षेत्र में नहीं होंगी घटनाएं
शाकाहारी वन्यप्राणियों की संख्या बढ़ने से मांसाहारी वन्यप्राणियों को जंगल के भीतर पर्याप्त भोजन उपलब्ध होगा और वो जंगलो से बाहर नहीं निकलेंगे, जिससे की आबादी क्षेत्र में इन जानवरों के जाने की संभावनाएं कम होंगी. साथ ही जंगल सफारी के लिए आने वाले टूरिस्टों को भी वन्यप्राणियों को प्रत्यक्ष रूप से देखने की संभावना बढ़ेगी. वन्यप्राणी खाद्य श्रंखला में शाकाहारी वन्यप्राणियों का महत्वपूर्ण स्थान है, इनकी उपस्थिति खाद्य श्रृंखला को मजबूती प्रदान करेगी.
12 नर व 40 मादा चीतल छोड़े गए
अधीक्षक वन्यप्राणी अभयारण्य खिवनी राजेश मंडावलिया ने बताया कि खिवनी अभयारण्य में 100 चीतल छोड़े जाने हैं, जिसमें से 52 छोड़े गए हैं, जिसमें 12 नर व 40 मादा चीतल हैं. ट्रॉस लोकेशन 2019 में आया था, जिसके तहत चीतल छोड़े जाने हैं. पहले ये नरसिंहगढ़ के चिडिखो से आने थे, लेकिन कोरोना के चलते वहीं से नहीं आ पाए. इसके बाद अब वन विहार से ला रहे हैं. अब 48 चीतल और आएंगे. उन्होंने बताया कि चीतल घने जंगल में रहते हैं. जबकि काला हिरण व चिंकार जगह बदल देते हैं. वन विहार से खिवनी अभयारण्य में चीतल भेजे जाने का मकसद उनका कुनबा बढ़ाना भी है.
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