चुनाव से 2 महीने पहले शिवराज सिंह चौहान ने अपने कैबिनेट में 3 नए मंत्रियों को शामिल किया है, लेकिन राहुल लोधी की चर्चा सबसे ज्यादा है. पहली बार विधायकी जीतकर शिवराज कैबिनेट में शामिल होने वाले लोधी उमा भारती के भतीजे हैं. राहुल की कैबिनेट में एंट्री उमा की नाराजगी दूर करने के रूप में देखा जा रहा है. 


सूत्रों का कहना है राहुल लोधी की एंट्री से कई विधायक नेता मिनिस्टर-इन-वेटिंग रह गए. फायरब्रांड नेता उमा भारती जिस लोधी समुदाय से आती हैं, जो बुंदेलखंड और निवाड़ के 17 जिलों में काफी प्रभावी हैं. मध्य प्रदेश विधानसभा के करीब 50 सीटों पर लोधी वोटर्स असरदार हैं.


राहुल लोधी शिवराज कैबिनेट में परिवारवाद कोटे से जगह पाने वाले पहले मंत्री नहीं हैं. लोधी के अलावा 4 नेता पुत्र और एक नेता पुत्री को भी कैबिनेट में जगह मिली हुई है. परिवारवाद कोटे से जगह पाने वाले मंत्रियों को कैबिनेट में बड़े-बड़े विभाग भी सौंपे गए हैं. 


इस स्टोरी में शिवराज कैबिनेट में परिवारवद कोटे से शामिल मंत्रियों के बारे में विस्तार से जानते हैं...


1. ओम प्रकाश सकलेचा- पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र सकलेचा के बेटे ओम प्रकाश सकलेचा शिवराज कैबिनेट में सुक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग के मंत्री हैं. ओम प्रकाश के पास विज्ञान और प्रद्यौगिकी विभाग का अतिरिक्त प्रभार भी है. वीरेंद्र सकलेचा मध्य प्रदेश में बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे.


पिता वीरेंद्र के निधन के बाद ओम प्रकाश राजनीति में आए. 2003 में जावद विधानसभा से सकलेचा पहली बार विधायक बने. इसके बाद से वे लगातार जावद सीट से चुना जीत रहे हैं. ओम प्रकाश सकलेचा 1980 के दशक में तब सुर्खियों में आए थे, जब उनके नाम से दिल्ली में एक बंगला अलॉट का मुद्दा कांग्रेस ने उठाया था. 


कहा जाता है कि वीरेंद्र सकलेचा की इस वजह से मुख्यमंत्री की कुर्सी भी चली गई थी. हालांकि, 2003 में जावद सीट से ओम प्रकाश जब चुनाव लड़े, तो यह सीट कांग्रेस के कब्जे में था.


2. विश्वास सारंग- मध्य प्रदेश बीजेपी के कद्दावर नेता कैलाश सारंग के बेटे विश्वास सारंग भी शिवराज कैबिनेट में मंत्री हैं. विश्वास के पास चिकित्‍सा शिक्षा और भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग की जिम्मेदारी है. विश्वास 2016 में पहली बार शिवराज कैबिनेट में मंत्री बने थे. 


कैलाश सारंग की गिनती मध्य प्रदेश बीजेपी के संस्थापक नेताओं में होती है. वे राज्यसभा के सासंद भी थे. विश्वास ने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1993 में बीजेपी युवा मोर्चा से की थी. 1999 में वे भोपाल नगर निगम में पार्षद का चुनाव जितने में कामयाब रहे. 2008 में कैलाश सारंग को साधने के लिए बीजेपी ने भोपाल के नरेला सीट से विश्वास को विधायकी का टिकट दिया. 


विश्वास इसके बाद लगातार नरेला सीट से विधायकी का चुनाव जीतते आ रहे हैं. 2018 में उन्होंने कांग्रेस के महेंद्र सिंह चौहान को करीब 23 हजार वोटों से हराया था. 


3. राज्यवर्द्धन सिंह दत्तीगांव- दत्तीगांव जागीर के राव राज्यवर्द्धन सिंह शिवराज कैबिनेट में मंत्री हैं. राज्यवर्द्धन के पास औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्‍साहन जैसा महत्वपूर्ण विभाग है. बदनावर से विधायक राज्यवर्द्धन को राजनीति विरासत में मिली है.


उनके पिता प्रेम सिंह 1990 में बदनावर सीट से विधायक चुने गए थे. राज्यवर्द्धन की राजनीति में एंट्री में 1998 में हुई थी. उन्होंने पहला चुनाव निर्दलीय लड़ा था. हालांकि, चुनाव में बुरी तरह हार गए थे. 2003 के चुनाव में राज्यवर्द्धन को कांग्रेस से टिकट मिल गया और वे जितने में भी कामयाब रहे.


2008 के चुनाव में भी दत्तीगांव बदनावर से जीत कर सदन पहुंचे. हालांकि, 2013 के चुनाव में उन्हें बीजेपी के भंवर सिंह शेखावत ने हरा दिया. 2018 में राज्यवर्द्धन ने जीत हासिल कर वापसी कर ली, लेकिन उन्हें कमलनाथ कैबिनेट में जगह नहीं मिली.


ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब बगावत का बिगुल फूंका तो राज्यवर्द्धन उनके साथ बेंगलुरु चले गए. बीजेपी की सरकार बनी तो उन्हें मंत्री बनाकर इसका ईनाम भी मिला. 


4. बृजेंद्र सिंह यादव- शिवराज कैबिनेट में शामिल बृजेंद्र सिंह यादव को भी राजनीति अपने पिता गजराम यादव से विरासत में मिली है. बृजेंन्द्र यादव वर्तमान में लोक स्वास्थ्य और यांत्रिकी विभाग में राज्य मंत्री हैं. वे 2020 तक कांग्रेसी थे, लेकिन सिंधिया की बगावत के बाद बीजेपी में आ गए.


बृजेंद्र की पत्नी भी जिला पंचायत की सदस्य रह चुकी हैं. 2018 के उपचुनाव में बृजेंद्र पहली बार मुंगावली सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. 2018 के मुख्य चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की. हालांकि, कमलनाथ कैबिनेट में उन्हें जगह नहीं मिली.


2020 में सिंधिया कोटे से बृजेंद्र शिवराज कैबिनेट में शामिल हुए. जानकारों की मानें तो गुना के सांसद केपी यादव को बैलेंस करने के लिए सिंधिया ने बृजेंद्र को मंत्री बनवाया.


5. यशोधरा राजे सिंधिया- ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ और जनसंघ के संस्थापक विजयराजे सिंधिया की बेटी यशोधरा भी शिवराज कैबिनेट में मंत्री हैं. यशोधरा के पास खेल और युवा कल्याण विभाग है. 1998 में ग्वालियर की शिवपुरी सीट से चुनाव जीतकर यशोधरा ने राजनीति में एंट्री की थी. 


2005 में उन्हें पहली बार शिवराज कैबिनेट में मंत्री बनाया गया था. यशोधरा ग्वालियर सीट से लोकसभा की सांसद भी रह चुकी हैं. 2020 में सिंधिया के साथ आने के बाद जब शिवराज की सरकार बनी, तब यशोधरा के कैबिनेट में नहीं लिए जाने की चर्चा जोरों पर थी. हालांकि, पहले से कमतर विभाग देकर शिवराज ने उन्हें कैबिनेट में शामिल कर लिया. 


वर्तमान में यशोधरा परिवार के 4 लोग राजनीति में सक्रिय हैं. इनमें खुद यशोधर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वसुंधरा राजे और दुष्यंत सिंह का नाम शामिल हैं. ज्योतिरादित्य केंद्र में मंत्री हैं. दुष्यंत सिंह सांसद और वसुंधरा राजे विधायक पद पर हैं. 


टिकट वितरण में भी परिवारवाद को तरजीह
मध्य प्रदेश में बीजेपी ने अब तक 39 उम्मीदवारों की घोषणा की है. टिकट वितरण में परिवारवाद को भी खूब तरजीह दी गई है.  है. बीजेपी ने 6 नेता पुत्र और एक नेता पत्नी को टिकट दिया गया है. बीजेपी ने भोपाल मध्य, भैंसदेही, बरगी, बड़वारा, महराजपुर और बंडा सीट से नेता पुत्र को उम्मीदवार बनाया है.


पेटलावाद से दिवंगत नेता दिलीप भूरिया की बेटी निर्मला को भी टिकट मिला है. इसके अलावा बीजेपी ने प्रत्याशियों की पहली सूची में दिग्गज नेताओं के समर्थकों को भी खूब तवज्जो दी है. लिस्ट में ज्योतिरादित्य सिंधिया कोटे से 2, रंजना बघेल कोटे से 1, प्रह्लाद पटेल कोटे से 1, उमा भारती कोटे से 1 और सत्यनारायण जटिया गुट से एक उम्मीदवारों को पहली सूची में जगह दी गई है.