PM Politics News मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने सरपंच से लेकर विधायक तक पर रिश्वत लेकर विकास कार्य कराने के आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार का राज है. दिग्विजय सिंह का आरोप है कि मध्य प्रदेश में हर काम कराने के लिए रिश्वत का प्रतिशत तय कर दिया गया है.
दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के इन आरोपों को भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने चुनाव में लगातार सियासी बौखलाहट करार दिया है.
'रिश्वत दिए बगैर नहीं होता कोई काम'
एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि पूरे प्रदेश में हर काम कराने के लिए रुपये देने पड़ते हैं. इसलिए, मध्य प्रदेश के सरपंच भी मजबूर हैं. उनका आरोप है कि जब कार्य को स्वीकृत कराना होता है, तब 25 प्रतिशत देना पड़ता है. इसके बाद जब एस्टीमेट और कार्य पूरा होने का प्रमाण पत्र बनवाना होता है तब 20 प्रतिशत देना पड़ता है.
उन्होंने ये आरोप भी लगाए कि विधायकों के 20 प्रतिशत अलग से निकालने होते हैं. इस प्रकार पूरा हिसाब किताब बताते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि आखिर में विकास के कार्यों के लिए 35 से 40 प्रतिशत ही स्वीकृत राशि का बचता है. उसमें सरपंच को अपने चुनाव की उधारी और अन्य खर्च निकालना होते हैं.
दिग्विजय सिंह की सोच में खोट है - बीजेपी
वहीं, बीजेपी का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपने ही गृह नगर के लोगों से कहा था कि लोकसभा चुनाव 2024 उनका आखिरी चुनाव होगा, लेकिन उन्हें पूरी तरह हार का सामना करना पड़ा. इसके अलावा, मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी भारतीय जनता पार्टी ने भारी बहुमत के साथ जीता है.
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लगातार हार का सामने करने के बाद से बौखला गए हैं. वे बौखलाहट के चलते कांग्रेस समर्थित सरपंचों और विधायकों को भी नहीं छोड़ रहे हैं. उन्होंने जिस प्रकार का आरोप लगाया है, वह उनकी राजनीतिक मानसिकता को दर्शाता है. उनकी सोच में ही खोट हो गया है.
मध्य प्रदेश में सुशासन और पारदर्शी व्यवस्था होने की वजह से ही विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने भारी जीत दर्ज की है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को अब राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए.
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