MP News: छिंदवाड़ा के बेहाल किसान बेच रहे1 रुपये किलो टमाटर, प्रशासन ने कम कीमतों की बताई ये वजह
MP Farmers: छिंदवाड़ा में टमाटर की खेती करने वालों किसानों को बाजार में टमाटर की मांग घटने से भारी नुक्सान उठाना पड़ रहा है. जिले के हार्टिकल्चर विभाग ने किसानों को घाटा कम करने के कई उपाय बताए हैं.
Chhindwara News: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा (Chhindwara) में टमाटर की पैदावार करने वाले किसान बेहाल हैं. दिसंबर माह में अधिक पैदावार होने और सप्लाई घटने के कारण किसानों (Farmers) को मजबूरी में टमाटर (Tomato) एक रुपये किलो बेचना पड़ रहा है, इस कीमत पर किसानों को फसलों की मूल लागत भी नहीं मिल पा रही है. वहीं उमरेठ क्षेत्र (Umreth) के टमाटर किसानों की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है.
इस मामले हार्टिकल्चर विभाग (Horticulture Department) के अधिकारियों का कहना है कि अक्सर दिसंबर में टमाटर की पैदवार बढ़ने से किसानों को सही कीमत नहीं मिल पाती है. सारण गांव के एक किसान ओमकार साहू ने बताया कि इस बार टमाटर के 1 से 2 रुपए किलो बिक रहा है. इसमें लागत निकालना तो दूर की बात है किसान मजदूरी भी नहीं निकल पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि मेरे पास 25 एकड़ कृषि भूमि है, जिसमें से आधी जमीन में मैं टमाटर की खेती करता हूं. महंगाई बढ़ने से अब टमाटर की खेती में प्रति एकड़ 1 लाख रुपए की लागत आती है.
मजदूरों की मजदूरी भी नहीं निकाल पा रहे हैं किसान
ओमकार साहू के मुताबिक महंगाई के साथ मजदूरों की मजदूरी भी बढ़कर 300 रूपये हो गई है. मंडी में टमाटर बेचने ले जाने पर ये 20 से 60 रुपए कैरेट में बिक रहे हैं, जिससे मजदूरी निकालना भी मुश्किल है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि टमाटर की पैदावार करने वाले किसानों को सरकार की ओर से आर्थिक मदद दी जानी चाहिए.
हार्टिकल्चर विभाग के उप संचालक एम एल उईके के मुताबिक जिले में लगभग 10 हजार हेक्टयर में टमाटर की पैदावार होती है. उन्होंने बताया कि अक्सर दिसंबर और जनवरी में टमाटर की ज्यादा पैदावार होने के कारण, इसकी बाजार में डिमांड कमजोर हो जाती है. इस वजह से किसानों को टमाटर के अच्छे दाम नही मिल पाते हैं.
घाटे से बचने के लिए किसान करें ये उपाय
एम एल उईके ने बताया कि दिसंबर में टमाटर की पैदावार करने वाले किसानों को घाटे से बचने के लिए सरकारी अनुदान प्राप्त कर सकते हैं, जहां वह प्रोसेसिंग यूनिट प्रोजेक्ट के तहत मुनाफा कमा सकता हैं. उन्होंने बताया कि इसके लिए केंद्र सरकार प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना के तहत 30 लाख का लोन देती है, जिसमें से 10 लाख रुपये सरकार अनुदान के रुप में देती है.
हार्टिकल्चर विभाग के उप संचालक ने बताया कि हितग्राहियों का आठवीं पास होना जरूरी है और किसान डिफाल्टर नहीं होने की भी एक प्रमुख शर्त है. इस योजना से किसान टमाटर की फसलों से सॉस, कैचप, पेस्ट और करी बनाकर सीधे तौर पर या फिर किसी कंपनी से टाईअप कर उत्पादों को बाजार में बेच सकते हैं. उन्होंने बताया कि इन उत्पादों की पूरे साल मांग होती है, जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.