Cheetah Project MP: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बुधवार को कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में मध्य प्रदेश को चीता स्टेट के रूप में नई पहचान मिली है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की मौजूदगी में मध्य प्रदेश सरकार ने जो चीता प्रोजेक्ट शुरू किया था, आज मैं बताना चाहूंगा 3 नन्हे- मुन्ने शावकों का जन्म हुआ है. यह एक तरह से विश्व की अद्वितीय घटना है. जब हमारी पूरी एशिया की धरती से चीता समाप्त हो गया था अब नया अंकुरण फुटा है.
उन्होंने कहा कि मैं मध्य प्रदेश सरकार के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को बधाई देना चाहूंगा जिन्होंने इस दिन का स्वप्न देखा था. कूनो को लेकर देखे गए इस सपने के पूरे होने से मैं भी रोमांचित और आनंदित हूं. भविष्य यह योजना और आगे बढ़ेगी.
आशा ने तीन शावकों को दिया जन्म
अफ्रीकी देश नामीबिया से लाई गई मादा चीता आशा ने मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में तीन शावकों को जन्म दिया है. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को यह जानकारी दी. केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘जंगल में शावकों की आवाज गूंजी. यह जानकारी साझा कर खुशी हो रही है कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान तीन नए सदस्यों का स्वागत कर रहा है. शावकों को नामीबिया से लाई गई मादा चीता आशा ने जन्म दिया है.’’
उन्होंने इस घटना क्रम को ‘परियोजना चीता की शानदार सफलता करार दिया जिसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पारिस्थितिकी संतुलन बहाल करने के लिए की थी. यादव ने पोस्ट किया, ‘‘ परियोजना से जुड़े सभी विशेषज्ञों, कूनों राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों और पूरे देश के वन्यजीव प्रेमियों को मेरी ओर से शुभकामनाएं.’’
इससे पहले मार्च 2023 में मादा चीता सियाया ने चार शावकों को जन्म दिया था, लेकिन एक ही शावक जिंदा बच पाया. सियाया का नाम बाद में ज्वाला रखा गया था. ज्वाला को भी नामीबिया से लाकर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बसाया गया था.
छोड़े गए थे नामीबिया के चीते
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर 2022 को अपने जन्मदिन के मौके पर ग्वालियर के कूनो नेशनल पार्क में पहुंचे थे. यहां उन्होंने नामीबिया से आए दो चीतों को छोड़ा था. चीतों को छोड़ने के बाद पीएम मोदी ने कहा था, "मैं हमारे मित्र देश नामीबिया और वहां की सरकार का धन्यवाद करता हूं. जिनके सहयोग से दशकों बाद चीते भारत की धरती पर वापस लौटे हैं. दशकों पहले, जैव-विविधता की सदियों पुरानी जो कड़ी टूट गई थी, विलुप्त हो गई थी, आज हमें उसे फिर से जोड़ने का मौका मिला है. आज भारत की धरती पर चीता लौट आए हैं."
प्रधानमंत्री ने कहा था, "मैं ये भी कहूंगा कि इन चीतों के साथ ही भारत की प्रकृतिप्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जागृत हो उठी है. ये दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया. लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ. आज आजादी के अमृतकाल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है."
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