Madhya Pradesh Uniform Civil Code: गुजरात के बाद अब मध्य प्रदेश में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता मुद्दा बनता नजर आ रहा है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने प्रदेश में कॉमन सिविल कोड के लिए कमेटी बनाने की बात कर प्रदेश की शांत पड़ी राजनीति में एक बार फिर से हलचल पैदा कर दी है.
वहीं, कांग्रेस (Congress) ने सीएम शिवराज के बयान को चुनाव के पहले की बीजेपी की ध्रुवीकरण बढ़ाने की क़वायद करार दिया है. अगले साल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसलिए शिवराज सिंह के इस बयान के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं.
शिवराज सिंह बड़वानी में आदिवासियों की सभा में पहुंचे थे. उस दौरान उन्होंने कॉमन सिविल कोड (Common Civil Code) पर कमेटी बनाने की बात कर एक नया मुद्दे को हवा दे दी. सीएम शिवराज के इस बयान पर कांग्रेस ने हमला करते हुए कहा कि बीजेपी के पास आने वाले चुनाव में मुद्दों की कमी है, इसलिये ये ध्रुवीकरण करने वाले मसले उठा रही है. उधर बीजेपी इस मामले में शिवराज के बयान के बाद खुलकर इस मुद्दे को बढ़ावा देने की रणनीति पर उतर आई है. गुजरात चुनाव में प्रचार को गए प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी इसके पक्ष में बयान देकर इसे वक़्त की जरूरत बताया है.
बीजेपी मान रही शिवराज का मास्टरस्ट्रोक
गौरतलब है कि बीजेपी शासित राज्य समान नागरिक संहिता की बात तो करते हैं मगर उत्तराखण्ड, उत्तरप्रदेश और गुजरात में कमेटी बनाने से बात आगे नहीं बढ़ी. मध्य प्रदेश में भी कमेटी बनाने की ही बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की है. बीजेपी के विधायक और तमाम पार्टी नेता इसी बात पर खुश है और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इसे ही शिवराज सिंह का मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं.
कांग्रेस ने कसा तंज
कांग्रेस ने शिवराज सिंह के इस बयान पर तंज कसते हुए कहा कि जिस मंच से उन्होंने एक से ज्यादा शादी करने वालों को रोकने के लिए क़ानून बनाने की बात की. उस मंच पर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रेम सिंह भी मौजूद थे, जो आदिवासी हैं और उनकी चार शादियां हैं. कांग्रेस ने इसी बात को मुद्दा बनाकर सीएम शिवराज सिंह चौहान से स्थिति साफ़ करने को कहा.
कॉमन सिविल कोड बीजेपी का घोषित मुद्दा है. इसलिए शिवराज सिंह के इस बयान पर किसी को आपत्ति नहीं की, लेकिन सवाल इस बयान की टाइमिंग को लेकर हो रहे है क्योंकि आने वाले साल में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं. कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल मुख्यमंत्री के इस बयान को चुनावी एजेंडा सेट करने की बीजेपी की कोशिश के तौर पर भी देख रहे हैं.
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