MP News: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) आज 12 मार्च को श्योपुर जिले (Sheopur District) की कराहल तहसील (Karahal Tehsil) में, दोपहर 12.30 बजे पीएम आवास योजना (PM Awas Yojana) के तहत "सहरिया स्पेशल प्रोजेक्ट" (Sahariya Special Project) का शुभारंभ करेंगे. केन्द्रीय कृषि एवं किसान-कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) भी कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे. मुख्यमंत्री चौहान कार्यक्रम में लगभग 11 करोड़ रूपये के विकास कार्यों का लोकार्पण और 138 करोड़ रूपये के विकास कार्यों का भूमि-पूजन भी करेंगे.
योजना के लाभार्थियों की यह है संख्या, सहरिया जनजाति के लोगों भी दिया गया है लाभ
बता दें कि, सहरिया स्पेशल प्रोजेक्ट में 19 हजार 166 हितग्राहियों को 260 करोड़ रूपये का लाभ दिया जायेगा. श्योपुर जिले में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में सामाजिक, आर्थिक जाति जनगणना सर्वे 2011 की सूची में दर्ज कुल पात्र हितग्राहियों में से, अभी तक 22 हजार 333 हितग्राहियों को आवास मंजूरी दी गई है. इन हितग्राहियों में 7 हजार 956 सहरिया जनजाति के परिवार हैं.
सर्वे में छूटे हुए 19 हजार 166 सहरिया जनजाति के परिवारों को सूचीबद्ध कर, उन्हें आवास प्लस एप पर दर्ज करने के बाद योजना का लाभ दिया जा रहा है. इनमें विजयपुर तहसील के 4 हजार 223, कराहल तहसील के 11 हजार 380 और श्योपुर तहसील के 3 हजार 563 हितग्राही शामिल हैं. इस प्रोजेक्ट से सहरिया जनजाति के परिवारों के रोजमर्रा की जिंदगी में सुधार होगा, साथ ही स्थाई निवास बन जाने से पलायन की समस्या भी समाप्त होगी.
मध्यप्रदेश की सहरिया जनजाति की यह है विशेषताएं
सहरिया जनजाति राजस्थान के साथ मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, ग्वालियर और शिवपुरी में पायी जाती है. 'सहरिया' शब्द पारसी के 'सहर' शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है- 'जंगल'. इस जाति के लोग जंगल में रहते हैं. इन लोगों का परिवार पितृसत्तात्मक होता है. भारत सरकार ने सहरिया जनजाति को आदिम जनजाति माना है.
• सहरिया लोग अपनी उत्पत्ति भीलों से मानते हैं.
• ये राजस्थान की एकमात्र आदिम जनजाति है.
• इस जाति के लोगों का मुख्य व्यवसाय कंदमूल, फल और लकड़ियां एकत्रित करना है. साथ ही यह लोग जंगली जानवरों का शिकार भी करते हैं.
• सहरिया जनजाति के लोग हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा करते हैं.
• इन लोगों के नृत्यों में लहकी, दुलदुल घोड़ी, सरहुल, नृत्यरागनि और तेजाजी की कथा लोक गायन शैली बहुत प्रमुख हैं.
• इस जनजाति में विवाह के लिए सहपलायन, सेवा और क्रय विवाह (Purchase Marriage) की प्रथा प्रचलित है.
• सहरिया जनजाति में मुद्रा का प्रचलन बहुत कम होता है. ये लोग वस्तु विनिमय (सामानों की अदला बदली) की प्रथा को अपनाते हैं.
यह भी पढ़ें:
MP में 2 लाख से ज्यादा मामलों में देर से पहुंची डायल 100 पुलिस, CAG की रिपोर्ट से उठे कई गंभीर सवाल