Madhya Pradesh Covid-19: मध्य प्रदेश में कहर बनकर टूटा है कोरोना, अब तक 7 हजार से ज्यादा बच्चों को कर चुका है अनाथ
मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण पिछले दो सालों से कहर बरपा रहा है. इस दौरान कितने ही बच्चों के सिर से माता-पिता का साया उठ चुका है. एनसीपीसीआर की रिपोर्ट में भी चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
Madhya Pradesh Covid-19: कोरोना संक्रमण पिछले दो सालों से कहर बरपा रहा है. इस जानलेवा बीमारी ने कई बच्चों को अनाथ कर दिया है. वहीं कई बच्चों के सिर से मां या पिता का साया छिन लिया है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे के मुताबिक 1 अप्रैल 2020 से अब तक कोरोना ने 1.47 लाख बच्चों को मां-बाप से महरूम कर दिया है. मध्य प्रदेश में भी आंकड़े चौंकान वाले हैं.
मध्य प्रदेश में 7 हजार से ज्यादा बच्चों को कोरोना ने किया यतीम
बता दे कि मध्य प्रदेश राज्य में कोरोना संक्रमण कहर बनकर टूटा है. NCPCR ने सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट स्वरूपमा चतुर्वेदी के जरिए दाखिल हलफनामे में जानकारी दी है कि मध्य प्रदेश में पिछले साल से लेकर अब तक 7 हजार 340 बच्चों ने अपने माता-पिता में से या दोनों को खो दिया है.
अब तक10 हजार 94 बच्चों के सिर से उठ चुका है माता-पिता का साया
NCPCR ने अपने हलफनामे में ये भी बताया कि महामारी के दौरान 11 जनवरी तक 10 हजार 94 बच्चों को सिर से पूरी तरह माता-पिता का साया उठ गया. वहीं 1 लाख 36 हजार 910 बच्चों ने अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया वहीं 488 बच्चों को लोगों ने बेसहारा छोड़ दिया. वहीं आयोग ने ये भी बताया कि 1.47 लाख बच्चों में से 76 हजार 508 लड़के और 70 हजार 980 लड़किया हैं. इनमें 4 बच्चे ट्रांसजेंड़र भी है. NCPCR ने कहा कि उसके ये आंकड़े राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बाल स्वराज पोर्टल- कोविड केयर पर 11 जनवरी तक अपलोड किए गए आंकड़ों पर आधारित है.
सबसे ज्यादा किस आयु वर्ग के बच्चों को कोरोना ने किया यतीम
NCPCR के हलफनामे में कहा गया है कि कोरोना से सबसे ज्यादा जिस आयुवर्ग के बच्चे प्रभावित हुए उनमें आठ से 13 वर्ष के 59,010, इसके बाद 14 से 15 वर्ष के 22,763 और 16 से 18 वर्ष के 22 हजार 626 व चार से सात साल के 26,080 बच्चे हैं.
आयोग ने बच्चों के आश्रय की वर्तमान स्थिति भी दी और कहा कि अधिकतम बच्चे 1 लाख 25 हजार 205 अपने सिंगल माता-पिता -के साथ हैं, जबकि 11 हजार 272 बच्चे परिवार के सदस्यों के साथ हैं, वहीं 8,450 बच्चे अपने अभिभावकों के साथ रह रहे हैं.
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