Madhya Pradesh News:  मोबाइल चोरी की वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों के हाथ साइबर सेल से ज्यादा लंबे हो गए हैं. यही वजह है कि अब महंगे मोबाइल को चोरी करने के बाद विदेशों तक तस्करी के माध्यम से पहुंचाया जा रहा है. इस कारण महंगे मोबाइल पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पा रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक मध्य प्रदेश में 100 मोबाइल चोरी की शिकायतें रोज आती हैं. इस प्रकार यदि मध्य प्रदेश में एक साल में 30 हजार से ज्यादा मोबाइल चोरी के मामले पुलिस के पास पहुंचते हैं. इनमें से कुछ मामलों में पुलिस मोबाइल को रिकवर भी कर लेती है लेकिन ऐसे मोबाइल पिछले लंबे समय से रिकवर नहीं हो पा रहे हैं जो महंगे हैं.


वहीं सोचने की बात है कि महंगे हैंड सेट आखिर जा कहां रहे हैं ? इस सवाल का जब जवाब पता लगाने की कोशिश साइबर सेल की टीम ने की तो बेहद चौंकाने वाली जानकारियां मिली. साइबर सेल प्रभारी रह चुकी इंस्पेक्टर दीपिका शिंदे ने बताया कि चोरी, लूट आदि अपराधों में मोबाइल लेकर भागे बदमाश बड़े गिरोह के माध्यम से महंगे मोबाइल को नेपाल और बांग्लादेश के जरिए विदेश पहुंचा देते हैं. ऐसी स्थिति में मोबाइल ट्रेस नहीं हो पाता है. जो मोबाइल एमपी या अन्य प्रदेशों में चालू होते हैं वे आईएमईआई नंबर के जरिए ट्रेस किए जाते हैं.


मोबाइल के बदले मोबाइल का सौदा
चोरी और लूट की वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों के हाथ जब महंगे मोबाइल लगते हैं तो वे बड़े गिरोह के माध्यम से नेपाल और बांग्लादेश मोबाइल भेज देते हैं. इसके बाद वहां से उन्हें मोबाइल की राशि मिल जाती है. वहीं कई बार बदमाश मोबाइल के बदले मोबाइल भी ले लेते हैं. विदेशों में चोरी होने वाले मोबाइल को तस्करी के माध्यम से भारत भी भेज दिया जाता है. 


इसलिए नहीं बढ़ते हैं चोरी के अपराध
उज्जैन के रहने वाले वेद प्रकाश ने बताया कि जब मोबाइल चोरी के मामले में रिपोर्ट लिखाने के लिए थाने जाते हैं तो वहां जो एप्लीकेशन लिखी ली जाती है उसमें मोबाइल गुम होने का हवाला दिया जाता है. इस प्रकार केवल आवेदन में ही सील लगाकर दे दी जाती है. ऐसे मामलों में चोरी के अपराध दर्ज नहीं होते हैं. इसलिए मोबाइल चोरी का ग्राफ रिकॉर्ड पर कम रहता है, जबकि चोरी किए गए मोबाइलों की संख्या काफी अधिक रहती है. इन मामलों में यदि पुलिस एफआईआर दर्ज करना शुरू कर दें तो प्रत्येक जिले में सैकड़ों मुकदमे दर्ज होंगे. 


3000 से ज्यादा मोबाइल लौटा चुकी है पुलिस
यदि एमपी पुलिस की बात की जाए तो 2 साल में मध्य प्रदेश पुलिस 3000 से ज्यादा मोबाइल पीड़ित लोगों को लौटा चुकी है. उज्जैन एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल ने बताया कि उनके कार्यकाल में उज्जैन में 300 से ज्यादा मोबाइल पीड़ित लोगों तक पहुंचाएं गए हैं. इसी तरह देवास एसपी डॉ शिवदयाल सिंह ने अपने संक्षिप्त कार्यकाल में साइबर सेल के माध्यम से गुम हुए 400 मोबाइल पीड़ितों को दिलवाए हैं.



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