मध्य प्रदेश: दो सालों में नसबंदी और कॉपर टी के इस्तेमाल में आई कमी, जानें क्या कहते हैं आंकड़े?
दो सालों में कंडोम का इस्तेमाल 15 प्रतिशत तक कम हो गया जबकि महिलाओं में इमरजेंसी पिल्स की डिमांड 36 प्रतिशत तक बढ़ गई. मध्य प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रिपोर्ट में खुलासा हुआ.
मध्य प्रदेश प्रदेश के लोगों की सेक्स लाइफ से जुड़ा चौकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. पिछले दो वर्षों में जहां कंडोम (Condom) का इस्तेमाल करने वाले पुरुषों की संख्या घटी है, वहीं गर्भधारण से बचने के लिए इमरजेंसी पिल्स (Emergency Pills) का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की तादाद में इजाफा हुआ है. इसके साथ ही गर्भ निरोधक के परंपरागत साधन (Birt Control Measures) जैसे नसबंदी (Sterilization) और कॉपर टी (Copper T) के इस्तेमाल में कमी आई है. परिवार कल्याण विभाग के 3 साल का डाटा विश्लेषण (Data Analysis) करने से खुलासा हुआ है. हालांकि डॉक्टरों की ओर से इमरजेंसी गोली का उपयोग नियमित तौर पर किए जाने की मनाही है.
कोरोना वायरस ने बदली मध्यप्रदेश के लोगों की सेक्स लाइफ
इमरजेंसी पिल्स की संख्या बढ़ने के पीछे विशेषज्ञों का मानना है कि अनप्रोटेक्टेड सेक्सुअल रिलेशनशिप के दौरान कोरोना की वजह से अस्पतालों में अबॉर्शन नहीं हो रहे थे. इसलिए अनचाहे गर्भ से बचने के लिए 72 घंटे असर वाली गर्भनिरोधक गोली (Contraceptive Pill) का ज्यादा इस्तेमाल हुआ. कहा जा रहा है कि पिछले दो वर्षों में कोरोना महामारी ने प्रदेश में लोगों की लाइफस्टाइल, सेक्स लाइफ और फैमिली प्लानिंग के तरीके को भी बदल दिया है. आंकड़े बता रहे हैं कि सेक्स लाइफ और फैमिली प्लानिंग की जिम्मेदारी महिलाओं पर ज्यादा आ गई है. 2 वर्षों में पुरुषों ने कंडोम का इस्तेमाल 15 प्रतिशत तक कम कर दिया जबकि इसकी जगह महिलाओं में इमरजेंसी पिल्स की डिमांड 36 प्रतिशत तक बढ़ गई. वहीं कॉपर-टी और नसबंदी में कमी आई है. ये आंकड़े मध्य प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (MPNHM) के परिवार कल्याण विभाग ने जुटाया है. डेटा प्रदेश के स्वास्थ्य केंद्र और आशा कार्यकर्ताओं की तरफ से वितरित किए गए फैमिली प्लानिंग के साधन की संख्या पर आधारित पर है.
साधन के बावजूद नहीं बढ़ी नसबंदी और कॉपर-टी की संख्या
गौर करने वाली बात है कि इसमें मेडिकल स्टोर और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए मंगवाए गए गर्भ निरोधक उपाय के आंकड़ों को शामिल नहीं किया गया है. मध्यप्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के फैमिली वेलफेयर की जिम्मेदारी उठाने वाले डिप्टी डायरेक्टर डॉ. राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि, 'फैमिली प्लानिंग के लिए शहर से लेकर गांव तक के लोग पहले से ज्यादा जागरूक हुए हैं. कोरोना महामारी के पहले फैमिली प्लानिंग के लिए कंडोम के साथ महिला नसबंदी और आईसीडी (कॉपर-टी) का रुझान ज्यादा था. कोरोना महामारी आने के बाद रुझान में कुछ कमी आई है. इसके पीछे वजह है कि लोग कोरोना के कारण अस्पताल जाने से कतराने लगे हैं, इसलिए अस्पतालों में संसाधन के बावजूद महिला नसबंदी और कॉपर-टी की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही है.