Madhya Pradesh News: राजस्थान (Rajasthan) के सियासी घटनाक्रम के बाद कांग्रेस (Congress) के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के खाते में जाता दिख रहा है. अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के राजस्थान के सीएम की कुर्सी छोड़ने में आनाकानी के बाद की परिस्थितियों में दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) कांग्रेस के अध्यक्ष पद के सबसे बड़े दावेदार बनकर उभरे है. वे कांग्रेस आलाकमान के सबसे विश्वासपात्र नेताओं में गिने जाते है और उन्होंने पिछले हफ्ते एबीपी न्यूज से इंटरव्यू में भी दोहराया था कि वे गांधी-नेहरू परिवार के प्रति ईमानदार है.
इन वजहों से रेस में सबसे आगे
यदि दिग्विजय सिंह रेस में सबसे आगे आये हैं तो इसकी तीन वजह सामने आती दिख रही है. पहली वजह राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भरोसेमंद मंत्रियों और विधायकों की बगावत है. दूसरी वजह आनन फानन में दिग्विजय सिंह को पार्टी हाई कमान द्वारा दिल्ली बुलाया जाना और तीसरी वजह मध्य प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह का गुरुवार को भोपाल में दिया बयान. कांग्रेस के नेता प्रति पक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने दिग्विजय सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की वकालत की. उन्होंने यह खुलासा भी कर दिया कि मुझे कमलनाथ ने एक दो लोगों के साथ प्रस्तावक बनने को कहा है.
अचानक बुलाया गया दिल्ली
अब ये साफ हो गया कि दिग्विजय सिंह कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे. नेता प्रति पक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा वो दिग्विजय का नामांकन भरवाने दिल्ली जा रहे हैं. कमलनाथ ने उनको निर्देशित किया है. वहीं कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह का कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ना फाइनल हो गया हैं. दिग्विजय सिंह अभी भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ चल रहे थे लेकिन बुधवार को उन्हें अचानक दिल्ली बुलाया गया है.
कमलनाथ ने क्या कहा?
दरअसल खास बात यह है कि कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी दिग्विजय सिंह के साथ एक ही फ्लाइट में दिल्ली के लिए रवाना हुए. कहा जा रहा है कि दिग्विजय सिंह शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन कर सकते हैं. वे इसके संकेत भी दे चुके हैं. यहां बता दें कि राजस्थान में सियासी उठापटक के बाद दिग्विजय सिंह का नाम तेजी से सामने आया है. वहीं कमलनाथ ने खुद को कांग्रेस अध्यक्ष की रेस से बाहर बताया है. उन्होंने बुधवार को भोपाल में साफ कर दिया कि उनका ध्यान सिर्फ अगले साल होने वाले मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर है.