Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में साल 2018 की भांति कांग्रेस (Congress) 2023 में भी हर हाल में सत्ता हथियाना चाहती है. इसके लिए कांग्रेस ने जमीनी प्रयास शुरु कर दिए हैं. कांग्रेस का प्लान है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) को उनकी ही विधानसभा बुदनी में घेर लिया जाएगा. इसके लिए कांग्रेस को किसी बड़े चहरे की दरकार है. 


पिछली बार साल 2018 में पीसीसी के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव (Arun Yadav) ने सीएम शिवराज का सामना किया था, जबकि इस बार बीजेपी से ही बागी हुए दीपक जोशी ने सीएम शिवराज को चुनौती देने का ऐलान कर दिया है. मध्य प्रदेश में चुनावी बिगुल फुंक चुका है. संभवत: नवंबर-दिसंबर महीने में चुनाव होना है. साल 2018 में सत्ता में आई कांग्रेस एक बार फिर से सत्ता में आने का सपना संजो रही है. 


कभी काग्रेंस तो कभी बीजेपी के खाते में रही बुदनी
इसके कांग्रेस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बुदनी विधानसभा में रोकने के लिए रणनीति बनाने में जुटी हुई है. इसके लिए कांग्रेस को ऐसे लोकप्रिय चेहरे की तलाश है, जो सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने चुनाव में डंटकर सामना कर सके. बता दें बुदनी विधानसभा का गठन साल 1957 में हुआ था. 1957 के विधानसभा में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से राजकुमारी सूरज कला विधायक चुने गए थे. हालांकि 1962 में निर्दलीय बंसीधर बने. 


1967 में भारतीय जनसंघ से मोहनलाल शिशिर, 1972 में निर्दलीय शालिग्राम वकिल, 1977 में जनता पार्टी से शालिग्राम वकिल, 1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा) से केएल प्रधान, 1985 में भजापा से चौहान सिंह चौहान, 1990 में बीजेपी से शिवराज सिंह चौहान, 1992 में पोल द्वारा बीजेपी से मोहनलाल शिशिर, 1993 में कांग्रेस से राजकुमार पटेल, 1998 में कांग्रेस के देवकुमार पटेल. साल 2003 से तो इस सीट पर मानों बीजेपी का ही कब्जा हो गया है. साल 2003 में बीजेपी से राजेन्द्र पटेल, 2006 में पोल द्वारा बीजेपी से शिवराज सिंह चौहान, 2008 में बीजेपी से शिवराज सिंह चौहान, 2013 में बीजेपी से शिवराज सिंह चौहान और 2018 में भी बीजेपी से शिवराज सिंह चौहान विधायक चुने गए.


सीएम के गढ़ को भेद पाना मुश्किल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गृह जिले सीहोर की बुदनी विधानसभा से विधायक हैं. साल 2003 से बुदनी विधानसभा पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. साल 2003 में राजेन्द्र सिंह राजपूत विधायक चुने गए थे, जबकि इसके बाद से लगातार चार बार से सीएम शिवराज सिंह चौहान विधायक बनते आ रहे हैं. बीजेपी के इस गढ़ को भेदने के लिए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी ऐड़ी चोंटी का जोर लगा रही है, लेकिन भेद नहीं पा रही. बीते 2018 के चुनाव में तो कांग्रेस ने यहां सीएम शिवराज के सामने पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें भी हार का ही सामना करना पड़ा था. कांग्रेस यहां से स्थानीय सहित बाहरी नेताओं को मौका दे चुकी है, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिल सकी है.


अब दीपक जोशी भर रहे हूंकार
बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने चुनावी मैदान में लडऩे की हूंकार भर रहे हैं. कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने वाले दिन दीपक जोशी ने प्रदेश कांंग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से कहा  कि उन्हें बुदनी से टिकट दिया जाए, वे सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने चुनाव लडऩा चाहते हैं. दीपक जोशी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि वे अपने पिता स्व. कैलाश जोशी के अपमान का बदला लेना चाहते हैं. 


साल 2018 के चुनाव परिणाम
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बुदनी से चार प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी. इनमें बीजेपी से शिवराज सिंह चौहान, जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस से कद्दावर नेता पूर्व सांसद अरुण यादव मैदान में थे. इस चुनाव में शिवराज सिंह चौहान को एक लाख 23 हजार 492 मत प्राप्त हुए थे. जबकि कांग्रेस के अरुण यादव को 64 हजार 493 वोट. बसपा के संजीत कुमार को एक हजार 683, निर्दलीय प्रत्याशी हेमराज पेथारी को एक हजार 386 और नोटा में एक हजार 764 मत डले थे. इस चुनाव में बुदनी विधानसभा के दो लाख चार हजार 950 मतदाताओं ने अपने मतों का प्रयोग किया था. साल 2018 में बुदनी विधानसभा में 83 प्रतिशत मतदान हुआ था.


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