'बहनों तुम्हारी जितनी तकलीफें हैं, भगवान उन्हें मुझे दे दें...' मध्य प्रदेश में लाडली बहना योजना की शुरुआत करते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ये बात राज्य की सभी बहनों- माताओं से कही. दरअसल मुख्यमंत्री ने मध्य प्रदेश की महिलाओं को बड़ी सौगात दी है. उन्होंने अपने जन्मदिन के अवसर पर यानी 5 मार्च को राज्य की सभी बहनों के लिए लाडली बहना योजना की शुरुआत की.
इस योजना के तहत जून महीने से राज्य की महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपए दिए जाएंगे. योजना लॉन्च करने के दौरान मुख्यमंत्री सभी महिलाओं के सामने अपने घुटनों के बल बैठ गए. उन्होंने अपने भाषण से पहले महिलाओं को प्रणाम किया.
भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि, 'अब तक मैं बेटियों की पूजा करता था. लेकिन बहनों में भी मैं मां दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती को देखता हूं. मेरा मुख्यमंत्री के रूप में बहनों की सेवा करने का अवसर मिलना मेरे मानव जीवन को सफल और सार्थक बनाता है.
सीएम ने लाडली बहना योजना की घोषणा के साथ कहा कि मैं चाहता हूं कि इस योजना को लागू करने में कोई दिक्कत या समस्या न आए. इसलिए हम एक लाडली बहना सेना भी बनाएंगे जो इस योजना में गड़बड़ करने वालों को ठीक करेगा.
अब जानते हैं आखिर क्या है लाडली बहना योजना?
इस योजना की शुरुआत के वक्त मध्य प्रदेश के सीएम ने बताया कि इसके तहत राज्य की महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपये दिए जाएंगे. सरकार ने दावा किया है कि यह योजना राज्य की महिलाओं को सशक्त करने में मदद करेगी. हालांकि इस योजना का केवल उन्हीं विवाहित महिलाओं को फायदा मिल सकेगा, जिनके परिवार की सालाना आमदनी ढाई लाख रुपये से कम है.
तीन राज्यों में बीजेपी हिट, क्या दबाव में हैं शिवराज
नॉर्थ ईस्ट के चुनावी परिणाम आने और त्रिपुरा- नगालैंड में बीजेपी की जीत ने मध्य प्रदेश के सीएम पर इस विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन का दबाव बना दिया है. दरअसल मध्य प्रदेश में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. राज्य में हुए विकास यात्रा से जो फीडबैक मिला है. उसने सरकार और संगठन दोनों को चिंता में डाल दिया है.
सरकारी एजेंसी एलआईबी के सर्वे में पार्टी को 100 से भी कम सीटें मिल रही है. राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री और मध्य प्रदेश के प्रभारी शिव प्रकाश की तरफ से भी सर्वे करवाने की जानकारी राजनीतिक सूत्रों ने दी है. कहा जा रहा है कि पार्टी के निश्चित जीत वाली सीटों की संख्या 90 है. दोनों सर्वे के बाद शिवराज सरकार की छटपटाहट स्पष्ट देखी जा रही है. सरकार जाति-धर्म के कार्यक्रमों से सभी को साधने तो लगी है.
इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी में भावी मुख्यमंत्री के लिए वर्तमान सीएम शिवराज सिंह चौहान के अलावा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम की भी चर्चा है. सिंधिया एकमात्र ऐसे नेता हैं जो कांग्रेस छोड़ बीजेपी में कुछ महीने पहले ही शामिल हुए हैं, लेकिन उनका नाम मुख्यमंत्री पद के रूप में बार-बार सामने आ रहा है. ऐसे में शिवराज सिंह चौहान के लिए इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना बेहद जरूरी है. हो सकता है मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में शिवराज का प्रदर्शन उनके राजनीतिक करियर सवालों के घेरे में लाकर खड़ी कर दे.
राज्य के सीएम के तौर पर शिवराज सिंह चौहान लगातार चौथी बार कार्य कर रही हैं. शिवराज की राज्य की जनता के बीच इतनी गहरी पकड़ है कि कोई भी नेता, राजनीतिक घटनाक्रम या कोई ताकत सीएम की जड़ों को हिला नहीं पाई. मगर पार्टी के कई ऐसे नेता हैं जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से नाराज हैं.
ऐसे नेताओं और विधायकों की संख्या भी कम नहीं है जिन्हें सरकार मंत्री नहीं बना पाई है.ऐसे कई नेताओं को उम्मीद है कि इस बार चुनाव के पहले या बाद सीएम का चेहरा बदल दिया जाएगा. इन्हीं उम्मीदों के चलते ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सबसे ऊपर आ रहा है.
महिला वोटरों की ताकत के मायने
एमपी में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी महिला मतदाताओं को साधने में जुट गई है. पार्टी लाड़ली बहना योजना के जरिए प्रदेश भर की महिलाओं तक अपनी पैठ मजबूत कर रही है. किसी भी राज्य में जीत सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं का वोट कितना जरूरी है ये तो पुराने चुनावों में देख ही चुके हैं. बिहार से लेकर यूपी तक महिला मतदाता किसी पार्टी को सत्ता में लाने की वजह रही है.
2007: उत्तर प्रदेश में साल 2007 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम को देखें तो पाएंगे कि इस चुनाव में बीएसपी को 32 प्रतिशत महिलाओं का वोट मिला था, वहीं सपा को 26 %, बीजेपी को 16 फीसदी और कांग्रेस को 8 फीसदी वोट महिलाओं ने किया था. उस साल 2007 में मायावती की सपा को सत्ता की कमान मिली थी.
2010: बिहार विधानसभा चुनाव, साल 2010. इस चुनाव में नीतीश कुमार को महिला वोटर्स के दम पर जीत मिली थी. इस चुनाव में कुल 52.67 प्रतिशत मतदान हुए थे. जिसमें से 54.49 फीसदी मतदान महिलाओं का था और 51.12 प्रतिशत मतदान पुरुषों का.
2017: यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाने में भी महिला वोटरों का बड़ा हाथ रहा है. इस चुनाव में बीजेपी को रिकॉर्ड 41 प्रतिशत महिलाओं का वोट मिला था.
ढाई करोड़ वोट का टारगेट
मध्य प्रदेश में 2 करोड़ 60 लाख 23 हजार 733 महिला वोटर्स हैं. इसके अलावा 230 विधानसभा क्षेत्रों में से कम से कम 18 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां महिला वोटर्स की संख्या पुरुष मतदाताओं से ज्यादा है. इनमें बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, अलीराजपुर और झाबुआ जैसे आदिवासी बहुल जिले शामिल हैं.
प्रदेश सरकार के अफसरों की मानें तो इस विधानसभा चुनाव में नए महिला वोटरों की संख्या में 2.79 फीसदी का इजाफा भी हुआ है, वहीं 2.30 प्रतिशत पुरुष मतदाता भी बढ़े हैं. अधिकारियों के अनुसार इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में 13.39 लाख नए मतदाताओं में से 7.07 लाख मतदाताएं सिर्फ महिलाएं हैं. ऐसे में महिलाओं का साथ मिलना बीजेपी के लिए बड़ा लक्ष्य प्राप्त करने होंगे. महिला वोटरों की ताकत के मायने
इस योजना पर विपक्ष का क्या है कहना
चुनाव के कुछ महीनों पहले ही महिलाओं को साधने वाली योजना आई तो जाहिर है मध्यप्रदेश का सियासत गर्म होना भी लाजमी है. लाडली बहना योजना को लेकर कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस योजना के तहत महिलाओं को मिलने वाली राशि बहुत कम है.
आरोप के साथ ही कांग्रेस ने घोषणा कर दी कि अगर राज्य में उनकी सरकार आती है तो वह महिलाओं को एक हजार नहीं बल्कि 1500 रुपये देगी. दरअसल एमपी कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए कहा, 'राज्य में कांग्रेस सरकार बनने पर महिलाओं को हर साल ₹18000 की आर्थिक सहायता दी जाएगी. यह संसार की सबसे बड़ी महिला सशक्तिकरण योजना होगी.'
किन महिलाओं को नहीं मिलेगा लाडली बहना योजना का लाभ
- जिन महिलाओं के परिवार की वार्षिक आय 2.5 लाख से ज्यादा हो और उनके परिवार का कोई सदस्य इनकम टैक्स दाता हो.
- जिन महिलाओं के परिवार का कोई भी सदस्य केंद्र और राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग उपक्रम मंडल स्थानीय निकाय में नियमित, स्थाई कर्मी, संविदा कर्मी के रूप में नियोजित हो.
- वह महिला जो केंद्र या राज्य सरकार की तरफ से शुरू की कई किसी भी योजना से प्रतिमाह 1000 रुपए या उससे ज्यादा की राशि प्राप्त कर रही है
- जिन महिलाओं के परिवार सदस्य वर्तमान में और पहले कभी सांसद या विधायक रहा हो.
- महिला जिनके परिवार के पास कुल 5 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि हो.
- वह महिला, जिनके परिवार के सदस्यों के नाम से रजिस्टर्ड चार पहिया वाहन रहे हों.