Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) को अब केवल 6 महीने रह गए हैं. प्रदेश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दल बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) चुनावी वार रूम के सेटअप के साथ स्ट्रेटेजिक एक्सपर्ट की सेवाएं लेने लगे हैं. कांग्रेस ने अपने पुराने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) का उत्तराधिकरी खोज लिया है, जिसने कर्नाटक (Karnatka) में उसे बम्पर जीत दिला दी है.
चुनावों में कांग्रेस की रणनीति के नए शिल्पकार सुनील कानुगोलू (Sunil Kanugolu) का जादू कर्नाटक चुनाव में जमकर चला है. कर्नाटक में कांग्रेस को बम्पर जीत दिलाने के बाद अब बारी मध्य प्रदेश की है. वो मध्य प्रदेश में कमलनाथ (Kamal Nath) और दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) के साथ मुख्य रणनीतिकार की भूमिका में नजर आएंगे. कांग्रेस सांसद नकुलनाथ (Nakul Nath) के भोपाल (Bhopal) स्थित बंगले को सुनील कानुगोलू का वार रूम बनाया गया है.
कर्नाटक में हिट रहा कैंपेन
कभी पीएम मोदी और बीजेपी के चुनावी रणनीतिकार रहे सुनील कानुगोलू को मार्च 2023 में कर्नाटक और तेलंगाना के साथ मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. सुनील राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के भी मुख्य सूत्रधार थे.कर्नाटक में कांग्रेस के लिए सुनील का 40 % PayCM कैंपेन जमकर हिट रहा है, जिसने बीजेपी को सत्ता से बाहर करने प्रमुख भूमिका निभाई. वह अपने वन लाइनर कैंपेन के कारण राजनीतिक दलों में खूब चर्चा में रहते हैं.
मध्य प्रदेश के लोगों के लिए सुनील
कानुगोलू का नाम बेहद चौंकाने वाला हो सकता है. लेकिन देश के राजनीतिक गलियारों में व्यापक जाना पहचाना नाम बन चुके हैं. राजनीतिक चर्चा से पहले उनके बैकग्राउंड को जान लेते हैं. कन्नड़ पिता और तेलुगु मां की संतान कानुगोलू ने जिंदगी का लंबा हिस्सा तमिलनाडु में बिताया है. उनकी अधिकांश पढ़ाई चेन्नई में हुई है. उन्होंने अंडरग्रेजुएट के तौर पर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. साल 2009 में अमेरिका से भारत लौटने के पहले सुनील ने फाइनेंस में एमएस और एमबीए की पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री हासिल की थी. इसके बाद से सुनील पॉलिटिकल या इलेक्शन स्ट्रैटेजिस्ट के तौर पर कई राजनीतिक दलों के लिए काम कर चुके हैं.
सुनील 2014 में आईपैक के साथ जुड़े थे
कांग्रेस ने कर्नाटक और तेलंगाना के साथ मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सुनील कानुगोलु को इलेक्शन स्ट्रैटेजिस्ट बनाया था. कर्नाटक फतह करके सुनील ने अपनी उपयोगिता सिद्ध कर दी है. अब सुनील के जिम्मे ग्राउंड रियलिटी के आधार पर मध्य प्रदेश में इलेक्शन कैंपेन तैयार करना है. बताया जाता है कि सुनील साल 2014 में प्रशांत किशोर की कंपनी आईपैक के साथ जुड़े थे. बाद में प्रशांत किशोर ने पीएम मोदी का साथ छोड़ दिया, लेकिन सुनील और उनकी टीम बीजेपी के साथ रही.
साल 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सुनील ने इलेक्शन स्ट्रैटेजिस्ट के तौर पर मुख्य भूमिका निभाई. उन्होंने बीजेपी को शानदार जीत दिलाकर योगी आदित्यनाथ के लिए सीएम की कुर्सी का रास्ता साफ किया. बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के साथ द्रमुक के लिए 2019 लोकसभा चुनाव व अन्नाद्रमुक के लिए तमिलनाडु का 2021 विधानसभा चुनाव में सुनील मुख्य रणनीतिकार रह चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद पार्टी की साख को मजबूत बनाकर बेहतरीन प्रदर्शन का श्रेय सुनील को दिया गया था. सुनील अपना काम कर्नाटक चुनाव में खत्म कर चुके हैं. अब वो बाकी राज्यों में भी कांग्रेस के लिए वार रूम सेटअप तैयार करेंगे.
भारत जोड़ो यात्रा की रणनीति भी की थी तय
कर्नाटक में बीजेपी घेरने के लिए सुनील ने एक यूनिक आईटी प्रोग्राम तैयार किया.यहां 40% PayCM कैंपेन के माध्यम से उन्होंने बीजेपी सरकार के भ्रष्टाचार पर चोट की. उन्होंने एक QR कोड के बीच कर्नाटक के सीएम की फोटो लगाकर उन्हें 40% कमीशन लेने वाला भ्रष्ट मुख्यमंत्री बताया. यह व्यंग्यात्मक कैंपेन कर्नाटक के साथ पूरे देश में चर्चा का विषय बना. कहा जाता है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की रणनीति भी उन्होंने ही तय की थी. यात्रा के समापन पर कश्मीर में तिरंगा झंडा फहराने का आइडिया भी उन्हीं का था. सुनील फिलहाल कर्नाटक और तेलंगाना में भी वे कांग्रेस का चुनाव मैनेजमेंट संभाल रहे हैं. मध्य प्रदेश में सुनील के सामने कांग्रेस पार्टी को 2023 के विधानसभा चुनाव में विजय दिलाने के लिए तमाम चुनौतियां हैं.
सुनील के सामने दस चुनौतियां
1. मध्यप्रदेश में ठंडे पड़े पार्टी के संगठन में जान फूंकना
2. किसान कर्ज माफी योजना की विसंगतियों को दूर करना
3. बीजेपी के 18 साल के शासन के खिलाफ एन्टी इनकंबेंसी स्थापित करना
4. कर्नाटक जैसा सरकार के भ्रष्टाचार सहित अन्य मुद्दों पर आक्रामक इलेक्शन कैम्पेन तैयार करना.
5. बीजेपी की लाडली बहना जैसी गेम चेंजर योजनाओं का नारी सम्मान योजना के माध्यम से काउंटर करना.
6. प्रत्याशी चयन में जातीय और क्षेत्रीय भावनाओं का ध्यान रखना तथा स्थानीय मुद्दों की पहचान कर सरकार के खिलाफ नैरेटिव सेट करना.
7. पार्टी के अंदर भितरघात को रोकना और टिकिट न मिलने से असंतुष्ट नेताओं का पलायन रोकना.
8. सीएम का चेहरा बन चुके कमलनाथ और दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के साथ समन्वय बनाकर काम करना.
9. केंद्रीय नेतृत्व के एजेंडा के साथ राज्य नेतृत्व में सामंजस्य रखना.
10. मोदी मैजिक,डबल इंजन सरकार और बीजेपी के दुष्प्रचार को पार्टी के पक्ष में काउंटर करना.
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