MP News: नए साल में मध्य प्रदेश के बिजली विभाग ने उपभोक्ताओं को दिया झटका, फ्यूल कॉस्ट एडजस्टमेंट बढ़ाया
नए साल पर मध्य प्रदेश के लोगों को झटका लगा है. दरअसल विद्युत नियामक आयोग से मंजूरी मिलने के बाद एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी ने फ्यूल कॉस्ट एडजस्टमेंट को 14 पैसे प्रति यूनिट बढ़ा दिया है.
जबलपुर: मध्य प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए नए साल का स्वागत बिजली के झटके के साथ हुआ है. दरअसल विद्युत नियामक आयोग से मंजूरी मिलने के बाद मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी ने फ्यूल कॉस्ट एडजस्टमेंट (FCA) यानी ईंधन प्रभार समायोजन 14 पैसे प्रति यूनिट बढ़ाने के आदेश जारी कर दिए हैं.
बढ़ोतरी के बाद बिजली कंपनियों की लगभग 70 करोड़ की आय बढ़ जाएगी
इस आदेश के तहत अब फ्यूल कॉस्ट एडजस्टमेंट यानी FCA 14 पैसे प्रति यूनिट बढ़ जाएगा. इसके साथ ही साथ इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में भी दो से ढाई फीसदी की वृद्धि की गई है. जानकारों के मुताबिक मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों के लिए इस बढ़ोतरी के बाद लगभग 70 करोड़ की आय बढ़ जाएगी. इसके साथ ही नए साल में ही विद्युत कंपनियों की टैरिफ याचिकाओं पर आयोग ने दावे और आपत्ति के लिए सूचना भी सार्वजनिक तौर पर प्रकाशित कर दी है.इस सूचना के मद्देनजर घरेलू, वाणिज्यिक यानी कमर्शियल उपभोक्ता ,इंडस्ट्रियल औद्योगिक उपभोक्ता और कृषि उपभोक्ताओं पर अलग-अलग प्रतिशत की वृद्धि प्रस्तावित की गई है. वित्तीय वर्ष 2022-23 के आंकलन के हिसाब से मध्य प्रदेश की पूर्व, पश्चिम और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा अलग-अलग वर्गों के लिए यह वृद्धि बिजली दरों पर प्रस्तावित है.
प्रस्तावित दर
- घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 9.97 प्रतिशत बिजली की बढ़ोतरी प्रस्तावित
- वाणिज्यिक उपभोक्ताओं के लिए 4.44 प्रतिशत बिजली की बढ़ोतरी प्रस्तावित
- औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए 5.11 प्रतिशत बिजली की बढ़ोतरी प्रस्तावित
- सबसे ज़्यादा कृषि उपभोक्ताओं के लिए 10.61 प्रतिशत बिजली की बढ़ोतरी प्रस्तावित
21 जनवरी तक याचिका में आपत्तियां बुलाई गई
बता दे कि बिजली कम्पनियों ने 3915 करोड़ का घाटा आगामी वित्तीय वर्ष में दर्शाया है. वहीं विद्युत मामलों के जानकार और रिटायर्ड एमपीईबी अधिकारी राजेंद्र अग्रवाल बताते हैं की फ्यूल कॉस्ट एडजस्टमेंट यानी एफसीए बढ़ जाने से नए साल की शुरुआत ही महंगी बिजली के साथ हो रही है. इसके साथ ही साथ विद्युत कंपनियों की टैरिफ याचिका पर अब 21 जनवरी तक आपत्तियां बुलाई गई हैं. एक आपत्तिकर्ता के तौर पर राजेंद्र अग्रवाल बताते हैं कि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा कोयले का स्त्रोत मौजूद है इसके बावजूद मध्यप्रदेश में महंगी बिजली कहीं ना कहीं गलत प्रबंधन का परिणाम है. बहरहाल इस बार भी वह इस टैरिफ याचिका पर आपत्ति दर्ज कराएंगे.
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