MP News: मध्य प्रदेश में हाथी पालने के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है. हाथियों को लेकर जलवायु और वन पर्यावरण मंत्रालय की एक नई गाइड लाइन जारी हुई है. इस गाइड लाइन के मुताबिक अब हाथियों को पालने के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे. दरअसल, प्रदेश में साल 2003 के बाद से हाथियों को पालने पर रोक लगा दी गई थी. साल 2003 से लाइसेंस नहीं दिए गए, लेकिन अब प्रक्रिया में फिर से बदलाव किया गया है.
नई गाइड लाइन के बाद अब लोगों के लिए हाथियों की खरीदी और बिक्री की राह आसान हो गई है. अब हाथियों का मालिकाना हक वन विभाग बदल सकेगा. सरकार ने इस व्यवस्था पर पहले रोक लगा रखी थी, इसके चलते हाथियों को लेकर उसके मालिक मठ, मंदिर के ट्रस्टी परेशान रहते थे. अब हाथी पालने के लिए गाइड लाइन में बदलाव किया गया है. वहीं अब वन विभाग हाथी पालने के शौकीनों की तलाश कर रहा है. हालांकि, अब तक प्रदेश में हाथी पालने के लिए 50 से अधिक आवेदन आए हैं.
शहर में स्वीमिंग पूल जरुरी
वहीं नई गाइड लाइन के अनुसार शहर में हाथी पालने के शौकीनों को हाथियों के लिए शहर में स्वीमिंग पूल और गांव में तालाब की व्यवस्था करनी होगी. इसके अलावा दिए गए आवेदन में यह भी बताना होगा कि वह हाथी को भ्रमण कहां कराएगें. साथ ही हाथियों के स्वास्थ्य की देखरेख के लिए हर दो महीने में डॉक्टर से चेकअप कराना होगा. जलवायु और वन पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार अब हाथियों के कान में बिल्ला नहीं होगा, बल्कि चिप लगेगा. इस चिप में हाथी की समस्त कुंडली होगी, जिसमें हाथी की उम्र, मालिक का नाम, पता आदि जानकारी रहेगी.
छतरपुर में सबसे ज्यादा हाथी शौकीन
बता दें पहले हाथी के कान में बिल्ला लगाया जाता था और हाथी के मरने के बाद यही बिल्ला दूसरे हाथी में लगा लिया जाता था, ताकि दूसरे हाथी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराना पड़े. गौरतलब है कि अभी मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में हाथी पालने के सबसे ज्यादा शौकीन हैं. प्रदेश में कान्हा नेशनल पार्क में 18 हाथी और एक व्यक्तिगत हैं. इसी तरह पन्ना नेशनल पार्क में 16 हाथी, संजय नेशनल पार्क में चार हाथी, सतपुड़ा नेशनल पार्क में छह हाथी, बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 14 हाथी, पेंच नेशनल पार्क में पांच हाथी और छतरपुर में व्यक्तिगत लोगों के पास 13 हाथी मौजूद हैं.