Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में इन दिनों खाद का संकट गहराया हुआ है. खासकर यूरिया और डीएपी को लेकर आपूर्ति एक बड़ा सवाल बन रहा है. वहीं इसका खामियाजा अन्नदाता को भुगतना पड़ रहा है. क्योंकि खाद का इंतजार करती ज्वार और बाजरा की फसल खेतों में खड़ी है. साथ ही दस दिन बाद सरसों की बुआई होनी है. अन्नदाता खाद लेने के लिए लाइन में खड़ा है. इसके बावजूद भी प्रशासन ने किसानों को एक तरह के चक्रव्यू में खाद के लिए डाल दिया है. सबसे बड़ी बात यह है कि अगर एक बार में लाइन में लगकर भी मिल भी जाएगा तो गनीमत है. सबसे पहले किसान को खाद लेने के लिए एसडीएम कार्यालय के बाहर टोकन प्राप्त करने के लिए लाइन लगानी पड़ती है. उसके बाद मंडी में पैसे जमा कर रसीद कटाने के लिए दोबारा से दूसरे या तीसरे दिन लाइन में खड़े होना पड़ता है. उसके बाद कहीं तीसरी बार घंटो इंतजार के बाद खाद गोदाम से खाद के बैग मिल पाते हैं.
भिंड में नहीं मिल रही खाद
दरअसल मध्य प्रदेश का छोटा सा जिला भिंड कहने को तो बीस लाख की आबादी वाला जिला है. लेकिन इस क्षेत्र की आय का सबसे बड़ा जरिया खेती और बड़ा तबका किसान है. लेकिन हालिया स्थिति में दोनों किसान और खेती की हालत ठीक नही है. क्योंकि इलाके के ज्यादातर खेतों में बाजरा और ज्वार की फसल तैयार हो रही है. साथ ही सरसों की बुआई सर पर है. लेकिन खाद की कमी इन फसलों को बर्बाद करने पर तुली है. शासन और प्रशासन जिले में पर्याप्त मात्रा में फर्टिलायजर उपलब्ध होने का दावा तो कर रही है. लेकिन जब लाइन में लगकर खाद लेने के लिए पहुंच रहे किसानों की पीड़ा उन दावों की पोल खोल रही है.
करना पड़ रहा लंबा इंतजार
खाद को लेने के लिए एसडीएम कार्यालय और भिंड मेहगाब कृषि उपज मंडी में बनाए गए खाद वितरण केंद्र पर किसानों और महिलाओं की लम्बी कतारें लगी थी. कुछ लोग घंटो से खड़े थे तो कई किसान सुबह 6 बजे से शाम तक अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. विशम्बर दयाल शर्मा किसान से बात की तो उन्होंने बताया कि वह सुबह छह बजे से आकर लाइन में लगे हैं. लेकिन केंद्र पर पर्याप्त व्यवस्थाएं न होने की वजह से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इंतजार करने वाले किसानों का समय भी लंबा हो रहा है. साथ ही रकबे के हिसाब से भी फर्टिलायजर नही मिल पा रहा है.
किसानों को मिल रही कम खाद
डीएपी और यूरिया लेने पहुंचे किसान नरेंद्र सिंह भदौरिया ने बताया कि वे सुबह से अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं लेकिन केंद्र पर डीएपी और यूरिया देने की सीमा तय कर दी गई है. उन्होंने बताया कि केंद्र पर आधार कार्ड और किताब दोनों होने पर पांच-पांच बोरी डीएपी और यूरिया दिया जा रहा है लेकिन उनके खेत रकबा के हिसाब से पर्याप्त नहीं है. क्योंकि उनके पास 15 बीघा जमीन है जिसके लिए कम से कम 10 बोरी डीएपी और पांच बोरी यूरिया की जरूरत पड़ेगी, लेकिन वह यहां नहीं दी जा रही है.
कलेक्टर ने दिया आदेश
दरअसल जिला प्रशासन ने तय किया है कि 70% से अधिक सोसाइटी और नगर बिक्री के माध्यम से किया जाएगा. दुकानदारों को केवल 30% ही खाद मिलेगा जोकि दुकानदारों के लिए ऊंट के मुंह में जीरा के समान साबित हो रहा है. किसी भी दुकानदार को 200-300 अगर बैग मिलते हैं तो वह चंद घंटों में ही बिक जाते हैं. साथ ही ज्यादातर दुकानदारों को 1 से 2 महीने के लगभग समय से डीएपी और यूरिया खाद ही नहीं मिला है. जिस वजह से वह खाली बैठे लेकिन किसान डीएपी और यूरिया के अलावा अन्य कोई भी खाद लेने को तैयार नहीं है. एसडीएम वरुण अवस्थी का कहना है कि खाद तो पर्याप्त है लेकिन व्यवस्थाएं ठीक नहीं है. वही भिंड कलेक्टर सतीश कुमार एस ने खाद संकट को देखते हुए खाद गोदाम प्रभारी द्वारा बरती गई लापरवाही के चलते कार्यवाही करते हुए उसको हटाने के लिए आदेश जारी किया है.