MP Former Chief Minister Uma Bharti gave statement regarding Active Electoral Politics: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Former Chief Minister Uma Bharti) ने संकेत दिया है कि, वह जल्द ही चुनावी राजनीति में सक्रिय हो सकती हैं. उन्हों ने इसके लिए 2024 के लोकसभा चुनावों तक लक्ष्य रखा है, हालंकि उन्होंने 2019 में लोसभा चुनावों में नहीं लड़ने का फैसला किया था. सक्रिय चुनावी राजनीति में आने के लिए, उन्होंने अब तक अपने पसंद का कोई निर्वाचन क्षेत्र निर्धारित नहीं किया है. 


पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती 1989 से 1998 तक, चार बार खजुराहो से चार बार सांसद के रूप में लोक सभ के लिए चुनी गई. 1999 से 2003 तक वह संसद में, भोपाल का प्रतिनिधित्व का किया. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का पदभार ग्रहण करने तक, उन्होंने भोपाल के सांसद के रूप में लोकसभा में प्रतिनिधित्व करती रहीं. वहीं 2014 में लोकसभा के आम चुनाव में, उमा भारती झांसी से चुनावी मैदान में उतरीं. यहां से उन्हों ने 1 लाख 90 हजार 467 वोटों से जीत दर्ज कर सांसद पहुंची. 


उमा भारती जिन तीन जगहों से जीत कर संसद पहुंची, उन सभी लोकसभा सीटों पर अब भी बीजेपी का कब्जा है. जहां खजुराहो से वर्तमान में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा सांसद हैं, वहीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भोपाल से बीजेपी की तरफ से लोकसभा में प्रतिनिधित्व करती हैं. झांसी से अनुराग शर्मा बीजेपी के टिकट पर 2019 लोकसभा चुनाव में जीत कर संसद पहुंचे. 


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2019 का चुनाव लड़ने से मना किया था, लेकिन मैं कोई चुनाव नहीं लडूंगी ऐसा नहीं कहा 
पूर्व कैबिनेट मंत्री उमा भारती ने 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने से कर दिया था. उन्होंने इस संबंध में कहा, "मैं ने कहा था मैं 2019 का चुनाव नहीं लडूंगी, लेकिन यह कभी नहीं कहा कि मैं कोई चुनाव नहीं लडूंगी." वहीं पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कहा कि, वह 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगी. 
वह किस क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी, इसका जवाब उन्होंने टाल दिया.


पूर्व मुख्यमंत्री का छलका दर्द
छतरपुर में एक समारोह में उमा भारती ने कहा कि, "यह मेरे लिए ख़ुशी की बात है, सरकार मैं बनाती हूं और चलाता इसे कोई और है." ललितपुर और सिंगरौली के बीच रेल लाइन का शिलान्यास हुआ, तब मैं बीजेपी से बाहर थी. कांग्रेस की केंद्र में सरकार थी, कांग्रेस वालों ने मेरा नाम नहीं लिया. उद्घाटन जब हुआ, तब बीजेपी वालों ने भी मेरा नाम नहीं लिया. केन-बेतवा का जब शिलान्यास होगा, तब प्रोटोकॉल का प्रॉब्लम आएगा. इस वजह से पहले ही मैं कह रही हूं कि, प्रोजेक्ट लागू हो गया, मैं इसमें ही खुश हूं. 


इस पूरे वक्तव्य के दौरान पुर्व मुख्यमंत्री का दर्द छलक उठा, उन्हों ने कहा, ललितपुर और सिंगरौली रेलवे लाइन, केन-बेतवा परियोजना के उनके प्रयासों के कारण आगे बढ़ी, लेकिन उन्हें मंच पर बैठने का अवसर नहीं दिया गया.


वह भले इस प्रोज़ेक्ट पर बात कर रही थीं, लेकिन उनकी बातों से जाहिर हो रहा था वह 2003 चुनावों की तरफ इशारा कर रही थीं. जहां बीजेपी ने उन्हें कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के सामने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था. इन चुनावों में उन्हों ने एक साल तक कड़ी मेहनत की और बीजेपी पूरे राज्य में तीन चौथाई बहुमत के साथ सत्ता में आई. जिसके बाद उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, हालांकि आठ महीने तक ही वह इस पद पर बनी रह सकीं.


इस कारण उमा भारती को छोड़ना पड़ा मुख्यमंत्री का पदभार
अगस्त 2004 में कर्नाटका की हुबली अदालत ने, 1994 में स्वतंत्रता दिवस पर हुए दंगों के एक मामले गिरफ्तार करने का आदेश दिया. यह घटना उस वक्त घटी जब मुख्यमंत्री के पद रहते हुए, उन्होंने कथित तौर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने से रोकने के बावजूद, सरकारी आदेश की अवहेलना की थी. पुलिस ने हालात को काबू में करने के लिए गोलियां चलाई, जिसमें पांच लोगों मौत हो गई थी. जिसके बाद उन्हें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया. उनके बाद प्रदेश के सबसे सीनियर विधायक बाबूलाल गौर को पदभार सौंपा गया, इस घटना के बाद उन्हें कभी सीएम का पद नहीं मिला. 


जबकि नवंबर 2004 में, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने अपने गॉडफादर लालकृष्ण आडवाणी की आलोचना करने के बाद उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. बीजेपी से निलंबन के बावजूद, नवंबर 2005 में शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री के रूप में नामित किये जाने के बाद, उन्होंने इसका खुलकर विरोध किया. छः साल के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उन्हें पार्टी में वापस बुलाया, लेकिन प्रदेश की राजनीति से दूर रखा.  


 


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