MP News: प्रधानमंत्री आवास योजना में धोखाधड़ी का आरोप, दो एजेंसियों पर FIR दर्ज
PM Awas Yojana Fraud: पीएम आवास योजना में गड़बड़ी को लेकर इंदौर में 5 जनवरी को पुलिस थाने में आवेदन देने के साथ ही एजेंसी के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.
MP PM Awas Yojana Fraud: मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) में धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. प्रधानमंत्री आवास योजना से संबंधित दो मार्केटिंग एजेंसी के खिलाफ इंदौर में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है. मामले में एजेंसी का अनुबंध भी निरस्त कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि एजेंसी की ओर से हितग्राही से पीएम आवास के मकानों की बिक्री की तय राशि से अधिक की वसूली की जा रही थी.
महापौर पुष्यमित्र भार्गव और आयुक्त हर्षिका सिंह के निर्देश पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नगर निगम इंदौर की ओर से पीएम आवास विकसित किए जा रहे हैं. इनमें शिवालिक परिसर, सतपुड़ा परिसर, अरावली परिसर, नर्मदा परिसर और कावेरी परिसर पर रेसिडेंशल यूनिट की मार्केटिंग के लिए एजेंसी मेसर्स अप-टू-द मार्क एडवरटाइजिंग प्रा. लि. और मेसर्स मिरेकल इवेंट्स ज्वाइंट वेंचर इन्दौर को नियुक्त किया गया था. लेकिन यहां कार्यरत कर्मचारियों द्वारा हितग्राही से मकानों के निर्धारित विक्रय मूल्य से अधिक राशि धोखाधड़ी कर वसूली जा रही थी.
पीएम आवास योजना में धोखाधड़ी
इसके साथ ही साथ एक ही मकान के लिये कई खरीदारों से पैसा लेने की शिकायत भी सामने आई थी. इसके बाद एजेन्सी मेसर्स अप-टू-द मार्क एडवरटाइजिंग प्रा. लि. और मेसर्स मिरेकल इवेंट्स ज्वाइंट वेंचर एजेंसी के जिम्मेदारों के खिलाफ सेन्ट्रल कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई. इसके अलावा एजेंसी के साथ एग्रीमेंट भी निरस्त करने के निर्देश दिये गये हैं.
पीएम आवास योजना में अधिक पैसे की वसूली
एजेंसी के कर्मचारियों ने एक योजना के हितग्राही जानकीलाल पिता गुलाबचंद सोनी से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नर्मदा परिसर, बडा बांगडदा एक्सटेंशन में बनाए गए आवासीय प्रकोष्ठ के 7 लाख के बजाए 1.5 लाख रूपए ज्यादा लेकर 8.5 लाख रूपए वसूले थे. मामले में अपर आयुक्त पीएमएवाय अभिलाष मिश्रा ने जांच पड़ताल की और तथ्य सही पाए जाने पर एजेंसी के खिलाफ केस बनाया.
कारण बताओ नोटिस हुआ था जारी
वहीं, मामले में महापौर पुष्यमित्र भार्गव और आयुक्त हर्षिका सिंह द्वारा सम्बंधित दोनों मार्केटिंग एजेन्सी खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कराने और एजेंसी के अनुबंध को निरस्त करने के निर्देश दिये गये थे. इसी साल 5 जनवरी को पुलिस थाने में आवेदन देने के साथ ही एजेन्सी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. संतोषजनक जवाब न मिलने पर मार्केटिंग एजेंसी का अनुबंध समाप्त करने की कार्रवाई की गई.
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