MP News: मध्य प्रदेश सरकार ने रातापानी अभ्यारण को टाइगर रिजर्व क्षेत्र बनाने की मंजूरी दे दी है. इसके पीछे बाघों का राजधानी भोपाल के आसपास बढ़ता दबाव को सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है. वहीं मध्य प्रदेश सरकार पर्यटन को बढ़ावा भी देना चाहती है. सरकार पूरे क्षेत्र को कोर और बफर एरिया में बांटा चाहती है. इसमें करीब एक हजार करोड़ रूपए खर्च होंगे.


गांवों को विस्थापित करने का प्लान
रातापानी अभ्यारण टाइगर रिजर्व बनाने के लिए 300 करोड़ खर्च होने का अनुमान है. वहीं रातापानी जगंल के अंदर आ रहे गांवों को विस्थापित किया जाएगा. हालांकि इसे लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अफसरों से कहा कि अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने से पहले यहां रहने वाले ग्रामीणों की सहमति जरूरी है. रातापानी अभ्यारण में 32 गांव आ रहे हैं. जिनको विस्थापित करने की जद में हैं. सबसे खास बात यह कि केंद्र सरकार की पहले से ही सहमति थी लेकिन  अब मध्यप्रदेश सरकार ने भी मंजूरी दे दी है. लेकिन सबसे खास बात यह है मध्यप्रदेश के सीहोर और अब्दुल्लागंज का रातापानी अभ्यारण पूरी तरह टाइगर रिजर्व क्षेत्र में शामिल हो जाएगा.


रोजगार को बढ़ावा
रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए 2,170 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र प्रस्तावित है. इसमें रातापानी के अलावा सीहोर और ओबेदुल्लागंज के वन क्षेत्रों को शामिल किया है. रिजर्व के अदंर 32 गांव आ रहे हैं. इनको विस्थापन के लिए 5 साल लगेंगे. टाइगर रिजर्व के आसपास रहने वाले लोगों के काम धंधे बदल जाएंगे. जंगल पर बंदिशें लग जाएंगी. स्थानीय लोगों समितियों के जरिए पार्क प्रबंधन पर्यटन सफारी और पर्यटकों को गाइड का काम करना शुरू कर देंगे.


रातापानी टाइगर रिजर्व
यह अभयारण्य मध्य प्रदेश के भोपाल-रायसेन वन प्रभाग में 890 वर्ग किमी. में फैला हुआ है. अभयारण्य में लगभग 40 बाघों की आबादी है. इसके अलावा भोपाल के वन क्षेत्र में करीब 12 बाघों की आवाजाही बताई गई है. इस पूरे क्षेत्र को बाघ अभयारण्य के रूप में घोषित करने के लिए एक साथ जोड़ा जाएगा. रायसेन, सीहोर और भोपाल जिलों का लगभग 3,500 वर्ग किमी. का क्षेत्र इसी अभयारण्य के लिए आरक्षित किया गया है. इसके साथ ही 1,500 वर्ग किमी. को कोर क्षेत्र के रूप में जबकि दो हजार वर्ग किमी. को बफर जोन के रूप में नामित किया जाएगा. बाघ अभयारण्य के रूप में इसकी घोषणा से क्षेत्र में अवैध खनन और अवैध शिकार की समस्या का सामना कर रहे बाघों के बेहतर संरक्षण में मदद मिलेगी.


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