ग्वालियर: मध्यप्रदेश के ग्वालियर (Gwalior) में सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल (Jayarogya Hospital) में एक बार फिर बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. दरअसल यहां जिंदा मरीज को मृत बताकर वेंटिलेटर हटा दिया. जब बाहर खड़े परिजनों को इस लापरवाही की जानकारी हुई तो उनके होश उड़ गए. वहीं वेंटिलेटर से हटाए गए मरीज की कुछ घंटो बाद मौत हो गई. जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा काटा
जयारोग्य अस्पताल में 5 दिन के अंदर लापवाही की दूसरी घटना
गौरतलब है कि ग्वालियर के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल में लापरवाही की 5 दिन के अंदर यह दूसरी घटना है. जानकारी के मुताबिक मुरैना के 40 वर्षीय मरीज शिवकुमार उपाध्याय को लकवा के साथ ब्रेन हेमरेज हुआ था.जिसके बाद परिजनों ने उन्हें न्यूरोसर्जरी विभाग के आईसीयू में भर्ती कराया था लेकिन वार्ड बॉय ने उसे मृत समझकर उसका वेंटिलेटर हटा दिया. करीब 20 मिनट तक मरीज बिना ऑक्सीजन और वेंटिलेटर सपोर्ट के रहा जिसके चलते उसकी मौत हो हई. इसी तरह का एक मामला बीते शुक्रवार को ट्रॉमा सेंटर में सामने आया था. उस समय भी जयारोग्य चिकित्सालय के ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों ने 31 वर्षीय जिंदा महिला मरीज को मृत बताकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था.बाद में वह जिंदा निकली थी. हालांकि महिला की 18 घंटे बाद मौत भी हो गई थी.
वहीं शिवकुमार उपाध्याय की मृत्यु होने की खबर जब परिजनों को मिली तो उन्होंने हंगामा खड़ा कर दिया. परिजनों ने कहा कि 10 मिनट पहले तक सब ठीक था. हंगामा होते ही सीनियर डॉक्टर भी वहां पहुंच गए. इसके बाद उन्होंने देखा कि मरीज की सांसे चल रही थी. और फिर तत्काल मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट पर लिया गया. हालांकि मरीज की मौत हो गई.
वार्ड बॉय को किया गया सस्पेंड
इस मामले में जेएएच के प्रवक्ता डॉक्टर बालेन शर्मा का कहना है कि इस मामले की जांच कराई जाएगी. अस्पताल अधीक्षक डॉ आरकेएस धाकड़ ने कहा कि वार्डबॉय को सस्पेंड कर दिया है. नर्सों को हटाने का प्रस्ताव भेजा गया है.
किसी दूसरे मरीज की आईसीयू में हुई थी मौत
वहीं शिव कुमार उपाध्याय के साले योगेश शर्मा का कहना है कि उनके जीजा को सर गंगा राम हॉस्पिटल दिल्ली में दिखाया गया था.वहां डॉक्टरों ने कहा कि इनका इलाज जेएएच न्यूरोसर्जरी में भी हो सकता है. जिसके बाद उन्हें लेकर 2 दिन पहले जेएएच में आए. यहां उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया. बीते मंगलवार की शाम करीब 6:30 बजे वार्ड बॉय ने उन्हें मृत समझकर उनका वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट हटा दिया.जबकि आईसीयू में किसी दूसरे मरीज की मौत हुई थी.
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