MP High Court: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में नर्सिंग कालेज (Nursing College) के नाम पर चल रहे गोरखधंधे का खुलासा हुआ है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (High Court) में दायर एक याचिका में कहा गया है कि प्रदेश के कई जिलों में कार शोरूम, बारात घरों और दुकानों में बिना मापदंड को पूरा किये नर्सिंग कालेज चल रहे हैं. हाई कोर्ट ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए राज्य सरकार सहित सभी पक्षों को नोटिस जारी किए है.
क्या है याचिका
मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों में नियमों को ताक पर रखकर खोले गए नर्सिंग कॉलेजों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. इस मामले में अधिवक्ता विशाल बघेल की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. जिसमें कहा गया है कि साल 2021 में मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों में करीब 55 नर्सिंग कॉलेज खोले गए हैं. ये ना तो नर्सिंग कॉलेजों के लिए तय मापदंड को पूरा करते हैं और ना ही सरकार के नियमों का पालन करते हैं. याचिका में कहा गया है कि सरकार ने वैसे तो नर्सिंग कॉलेजों को खोलने के लिए 100 बिस्तरों का अस्पताल अनिवार्य किया है लेकिन आदिवासी बहुल इलाकों के लिए यह नियम शिथिल कर दिया गया है.
क्या है शिकायत
नियम के अनुसार अगर आदिवासी इलाकों में नर्सिंग कॉलेज खोला जाता है तो उसके लिए अस्पताल की जरूरत नहीं है. नर्सिंग कॉलेज संचालकों ने इसी नियम का फायदा उठाकर बारात घरों, कार शोरूम और दुकानों तक में नर्सिंग कॉलेज खोल लिए हैं. जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा जो निरीक्षण रिपोर्ट तैयार की गई है. उसमें कागजों तो तमाम मापदंड में नर्सिंग कॉलेज पूरा करते हैं लेकिन हकीकत में किसी भी कॉलेज में पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद नहीं है. याचिका में छिंदवाड़ा, बालाघाट, उमरिया, मंडला और डिंडोरी जिलों में खोले गए नर्सिंग कॉलेजों की तस्वीरें और सबूत पेश किए गए हैं. याचिका में उठाए गए तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार समेत सभी नर्सिंग कॉलेजों को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है.
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