Madhya Pradesh Liver Donation: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh HC) ने हाल ही में एक शख्स को अपने बीमार भाई को लीवर टिश्यू का एक हिस्सा दान करने की अनुमति दे दी है. साथ ही कोर्ट ने अधिकारियों को अंगदाता की पत्नी की ओर से उठाई गई आपत्ति को नजरअंदाज करने का आदेश दिया. याचिकाकार्ता की पत्नी ने लीवर टिश्यू का कुछ हिस्सा दान करने को लेकर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद ये मामला कोर्ट पहुंचा था. कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता अपने शरीर का मालिक है और वो अपने बीमार भाई को अंग दान करना चाहता है, जिसमें कोई बुराई नहीं है.
भाई को लीवर दान करने की इजाजत
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस राजमोहन सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता (अंग दाता) अपने शरीर का स्वामी है और वो अपने बीमार भाई को लीवर दान कर रहा है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे में उसकी पत्नी समेत किसी की भी तरफ से दखलंदाजी नहीं की जा सकती है. सिंगल जज की पीठ ने कहा कि उनकी पत्नी की ओर से दी गई चेतावनी को दाता के अधिकार के ऊपर नहीं माना जा सकता है.
हाईकोर्ट ने बताया नेकी का कार्य
अदालत ने ये भी कहा कि पति के स्वास्थ्य की परवाह को लेकर पत्नी आपत्ति जता सकती है लेकिन लीवर के प्रत्यारोपण से कोई मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति नहीं बनेगी. कोर्ट ने ये भी तर्क दिया कि मेडिकल क्षेत्र में प्रगति की वजह से अंग दान अब सफलतापूर्वक किया जा रहा है. व्यक्ति (दाता) अपने बीमार भाई की जान बचाने के लिए नेक कार्य कर रहा है, ऐसे में पत्नी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
पत्नी ने जताई थी आपत्ति
बता दें कि विकास अग्रवाल नाम के शख्स अपने बीमार भाई को लीवर टिश्यू का कुछ हिस्सा प्रत्यारोपण के लिए दान देने वाले थे लेकिन उनकी पत्नी ने अस्पताल को ऐसा करने से मना कर दिया. जिसके बाद कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अंग प्रत्यारोपण नहीं किया. पत्नी की ओर से आपत्ति के बाद विकास अग्रवाल ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अब अदालत ने याचिकाकर्ता विकास को इजाजत देते हुए लीवर टिश्यू दान करने की अनुमति दी.
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