Jabalpur News: केंट बोर्ड जबलपुर सभी काम अंग्रेजी में होने पर केंट क्षेत्र के एक पूर्व पार्षद अमरचंद बावरिया ने सवाल उठाए हैं. साथ ही उन्होंने हिंदी भाषा में भी कामकाज की सुविधा देने की मांग की. उनकी इस मांग को केंट बोर्ड ने इसे अनसुना कर दिया. वहीं अब वे केंट बोर्ड की हठधर्मिता के खिलाफ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट तक पहुंच गए हैं. इस मामले की सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विजय शुक्ला की बेंच ने केंट बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ के साथ केंद्र सरकार को नोटिस देकर जवाब मांगा है. 


'अंग्रेजी में होता है सारा काम'
जबलपुर कैंट निवासी और पूर्व पार्षद अमर चंद बावरिया ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर कैंट बोर्ड जबलपुर में सभी कामकाज अंग्रेजी में किए जाने पर आपत्ति दर्ज की है. याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने सभी सरकारी दफ्तरों में हिंदी भाषा में कामकाज करने को दर्जी दी है इसके बावजूद कैंट बोर्ड की सभाओं का एजेंडा और कार्यवाही का विवरण सिर्फ अंग्रेजी भाषा में जारी किया जाता है. याचिका में यह भी कहा गया है कि कैंट बोर्ड के नागरिकों को टैक्स वसूली का नोटिस भी अंग्रेजी भाषा में ही दिया जाता है.


'कैंट अंग्रेजी को दे रहा महत्व'
पूर्व पार्षद अमर चंद बावरिया की जनहित याचिका में आम नागरिकों की शिकायत के लिए बनाए गए ई-पोर्टल को लेकर भी आपत्ति दर्ज की गई है. यह पोर्टल भी अंग्रेजी भाषा में ही कामकाज की अनुमति देता है. इस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील आर पी कनौजिया में तर्क दिया कि अनुच्छेद 343 में प्रावधान है कि प्रशासनिक भाषा हिंदी ही होगी. कैंट क्षेत्र में गरीब मजदूर, झुग्गी वासी, किसान रहते हैं जिन्हें अंग्रेजी भाषा की समझ नहीं है. इसके बाद भी कैंट बोर्ड अंग्रेजी भाषा में ही कामकाज को महत्व दे रहा है. याचिकाकर्ता ने पूर्व में कैंट बोर्ड को हिंदी में कामकाज करने का सुझाव दिया था लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया.
 
कोर्ट ने मांगा जवाब
याचिका पर सुनवाई के बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की बेंच ने केंद्र सरकार कैंट बोर्ड के अध्यक्ष और सीओ को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है.


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