(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
MP News: 'कलेक्टर को नहीं भरण-पोषण के फैसले का अधिकार', पत्नी को आधा वेतन दिलाने पर HC की टिप्पणी
Singrauli News: सिंगरौली के तत्कालीन कलेक्टर द्वारा शिक्षक पति से आधी सैलरी पत्नी को दिलाने पर हाई कोर्ट ने कहा कि भरण-पोषण राशि निर्धारित करने का अधिकार कलेक्टर को नहीं है.
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (High Court) ने अपने एक अहम आदेश में कहा है कि भरण-पोषण राशि निर्धारित करने का अधिकार कलेक्टर को नहीं होता है. हाई कोर्ट ने सिंगरौली (Singrauli) के तत्कालीन कलेक्टर द्वारा भरण-पोषण राशि निर्धारित किए जाने के रवैये को मनमाना और गैरकानूनी बताया है. कोर्ट ने कहा कि भरण-पोषण राशि निर्धारित करने का अधिकार कलेक्टर को नहीं है. जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने इसके लिए कलेक्टर पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया है.
दरअसल सिंगरौली निवासी शिक्षक कालेश्वर साहू की ओर से अपील दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि उसकी पत्नी ने भरण-पोषण के लिए धारा-125 के तहत कुटुम्ब न्यायालय में आवेदन दिया था. कुटुम्ब न्यायालय में मामले की सुनवाई लंबित है. इस बीच सिंगरौली जिला कलेक्टर के सामने जनसुनवाई के दौरान उसकी पत्नी मुन्नी साहू उपस्थित हुई थी. कलेक्टर ने याचिकाकर्ता के वेतन से 50 प्रतिशत की राशि काटकर पत्नी को भरण-पोषण के लिए प्रदान करने का आदेश अक्टूबर 2021 में जारी किया था. कलेक्टर के निर्देशानुसार शिक्षा विभाग के जिला समन्वयक अधिकारी ने 50 प्रतिशत वेतन कटौती के आदेश जारी कर दिए थे.
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि भरण-पोषण की राशि निर्धारित करने का अधिकार संबंधित न्यायालय को है. ऐसा करने की न्यायिक शक्तियां जिला कलेक्टर के पास नहीं है. जिला कलेक्टर का आदेश पूरी तरह से मनमाना और अवैधानिक है. हाई कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद वेतन से कटौती की गई राशि आठ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ याचिकाकर्ता शिक्षक को प्रदान करने के आदेश जारी किए हैं. कलेक्टर के आदेश को मनमाना और गैरकानूनी मानते हुए याचिका-व्यय बतौर 25 हजार का जुर्माना लगा दिया. यह राशि तत्कालीन कलेक्टर से वसूलने के निर्देश दिए हैं.