Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने पेंच (Pench National Park) और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (Bandhavgarh National Park) के बफर जोन में बिना अनुमति टाइगर सफारी (Tiger Safari) शुरू करने के लिए किए गए निर्माण की जांच के निर्देश दिए हैं. चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी फॉरेस्ट को निर्देश दिया है कि वो इस संबंध में पूर्व प्रमुख सचिव वन एपी श्रीवास्तव, पूर्व चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर एमपी ईको टूरिज्म बोर्ड विनय बर्मन और तत्कालीन पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) की संलिप्तता की जांच करें.
कोर्ट ने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्रिमिनल व विभागीय कार्रवाई करें. वहीं राज्य सरकार ने अभिवचन दिया गया कि दोनों टाइगर रिजर्व में टाइगर सफारी के निर्माण में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की गाइडलाइन का अक्षरशः पालन किया जाएगा.
क्या कहा गया है जनहित याचिका में
भोपाल निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने जनहित याचिका दायर कर बताया कि जुलाई 2015-16 में पेंच और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बफर जोन में सेंट्रल जू अथॉरिटी और एनटीसीए की अनुमति के बिना टाइगर सफारी शुरू करने की तैयारी थी. इसके लिए यहां अवैध निर्माण किया गया. टाइगर सफारी की शुरुआत मध्य प्रदेश ईको टूरिज्म बोर्ड को करनी थी.
याचिका में आगे कहा गया है कि उस समय एपी श्रीवास्तव के पास टूरिज्म बोर्ड का प्रभार था, जबकि एमपी ईको टूरिज्म बोर्ड में विनय बर्मन सीईओ थे. दोनों ही अफसरों ने पेंच और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बफर जोन में टाइगर सफारी के लिए निर्माण शुरू कराया था. इस निर्माण पर करीब सात करोड़ रुपये खर्च हुए थे. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि दोनों टाइगर रिजर्व में बाघों के मूवमेंट के कॉरिडोर के बीच बड़े-बड़े कवर्ड बाड़े बनाए जा रहे थे.