Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हर दोपहिया वाहन चालक को हेलमेट पहनने के आदेश का पालन न होने पर राज्य सरकार (MP government) की जमकर खिंचाई की है. मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि कागजी कार्रवाई की जगह धरातल पर उसका असर दिखना चाहिए. हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) के निर्देश पर राज्य सरकार ने बुधवार को मोटर व्हीकल अधिनियम (Motor Vehicle Act) के प्रावधानों का जनता से पालन सुनिश्चित कराने की कार्ययोजना प्रस्तुत की. कोर्ट ने सरकार की रिपोर्ट पर असंतोष जाहिर किया और विस्तृत हलफनामा पेश करने को कहा. कोर्ट ने सरकार पर 25 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई. कोर्ट ने कॉस्ट की राशि हाईकोर्ट कर्मचारी कल्याण फंड में जमा कराने के निर्देश दिए.


मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने मामले पर अगली सुनवाई 2 जनवरी 2023 को तय की है. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट की अनिवार्यता के लिए बने नियम का हर हाल में पालन सुनिश्चित करें. कोर्ट ने रिपोर्ट भी तलब की थी. शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता हरप्रीत रूपराह ने कार्ययोजना प्रस्तुत करते हुए कहा कि 2023 तक हर व्यक्ति मोटर व्हीकल एक्ट का पालन करेगा. उन्होंने कहा कि हेलमेट, सीट बेल्ट, नंबर प्लेट्स, ओवरलोडिंग आदि पर पूरी तरह से अंकुश लगाने की योजना बनाई गई है.


छात्रा ने दायर की थी जनहित याचिका
बता दें कि ग्वालियर निवासी कानून की छात्रा ऐश्वर्या शान्डिल्य ने साल 2021 में ग्वालियर बेंच में जनहित याचिका दायर की थी. चूंकि मामला बड़े जनहित से जुड़ा था इसलिए चीफ जस्टिस ने यह याचिका ग्वालियर पीठ से मुख्यपीठ जबलपुर स्थानांतरित करा दी. बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि पूरे प्रदेश में कितने सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, कितना स्टाफ है, किन चेकपोस्ट पर चेकिंग होती है? कोर्ट ने इन सभी मुद्दों पर विस्तृत हलफनामा पेश करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि यह मामला प्रदेशव्यापी है और आम जनता से कानून का पालन सुनिश्चित कराना सरकार की ड्यूटी है.


वकील ने क्या बताया
याचिकाकर्ता की ओर से ग्वालियर के अधिवक्ता अवधेश सिंह तोमर ने बताया कि, मोटर व्हीकल एक्ट और रूल्स में दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य है. उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग ने एक परिपत्र जारी कर कहा था कि जिस एजेंसी से वाहन खरीदा जाए वहीं क्रेता को हेलमेट भी बेचा जाए. याचिका में बताया गया कि प्रदेश में केवल कागजों में कार्रवाई हो रही है, धरातल पर नियमों का पालन नहीं हो रहा.


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