MP High Court News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्टेट सिविल परीक्षा - 2021 से जुड़े एक प्रकरण में अहम फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने मप्र लोक सेवा आयोग (MPPSSC) को निर्देश दिए हैं कि सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मध्यप्रदेश के बाहर के उम्मीदवारों को भी शामिल करो.कोर्ट ने कहा कि इसके लिए आयोग अपनी वेबसाइट में आवश्यक सुधार करे ताकि गैर मध्यप्रदेश वासी भी अपने आवेदन भेज सकें.
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि आवश्यकता पड़ने पर एमपीपीएससी आवेदन जमा करने के लिए नई तारीख तय करते हुए कम से कम सात दिन की मियाद बढ़ाए. दरअसल, स्टेट सिविल परीक्षा-2021 के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 12 मार्च थी, जो निकल गई है.
100 फीसदी आरक्षण देना अमान्य
झारखंड निवासी याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अमन जैन ने कोर्ट को बताया कि एमपीपीएससी की प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने के लिए रोजगार कार्यालय में पंजीयन आवश्यक कर दिया गया है. रोजगार पोर्टल में रजिस्ट्रेशन के लिए केवल मध्यप्रदेश के जिलों और तहसीलों की सूची ही उपलब्ध कराई है.इस विसंगति के चलते पात्र होने के बावजूद अन्य राज्यों के उम्मीदवार परीक्षा के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं.
जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने इस मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार पीछे के दरवाजे से मूल निवासी को शत-प्रतिशत आरक्षण देने का प्रयास कर रही है.यह पूरी तरह से अमान्य है और इस पर अंकुश लगाना जरूरी है.
हाईकोर्ट के निर्देश
मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि रोजगार पोर्टल पर प्रदेश से बाहर का कोई जिला शामिल नहीं करने से स्पष्ट है कि सरकार ने 100 प्रतिशत आरक्षण केवल मूल निवासियों के लिए किया है. कोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 16 (1) रोजगार और शासकीय नियुक्तियों में देश के सभी नागरिकों को समान अवसर प्रदान करता है. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के शासकीय पदों पर नियुक्ति पर केवल मूल निवासियों को आरक्षण के फैसले पर किसी भी तरह मुहर नहीं लगाई जा सकती.
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