Madhya Pradesh High Court:  मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में गंभीर लापरवाही बरतने पर विधि विभाग पर 10 हजार रुपए की कॉस्ट लगाते हुए सामान्य प्रशासन विभाग और विधि विभाग के प्रमुख सचिवों को अगली सुनवाई पर हाजिर होने का आदेश दिया है. विधि विभाग ने इस मामले में 8 साल से हाई कोर्ट के नोटिस पर जवाब नहीं दिया था. जिसके बाद हाईकोर्ट ने ये कॉस्ट लगाई है. 


कोर्ट ने लगाई अधिकारियों को फटकार


दरअसल मध्यप्रदेश में शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति में आरक्षण के नियमों का पालन न करने वाले मामले पर बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह के मुताबिक लगातार जवाब मांगने के बावजूद भी सामान्य प्रशासन विभाग और विधि विभाग की ओर से इस मामले में हाईकोर्ट में जवाब पेश नहीं किया जा रहा था. जिस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और विधि विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई.


जानिए क्या है पूरा मामला?


मध्य प्रदेश में शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति में आरक्षण का पालन नहीं किया जा रहा है. इस मुद्दे को उठाते हुए हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई, जिसमें ये कहा गया कि अधिवक्ताओं की नियुक्ति में हर वर्ग को मौका नही दिया जाता हैं. नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों का पालन नही किया जाता हैं. इस पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि शासकीय अधिवक्ता का पद लोक सेवक का पद नहीं है. राज्य सरकार ने इस पर एक आदेश भी जारी कर दिया. जिसको हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं द्वारा चुनौती दी गई है. इस पर हाईकोर्ट ने जिम्मेदार विभागों से जवाब मांगा लेकिन पिछले 8 सालों में सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से किसी भी तरह का जवाब पेश नहीं किया गया.


विधि विभाग पर लगाई 10 हजार की कॉस्ट


अब जब इस मामले पर सुनवाई हुई तो हाईकोर्ट ने बेहद नाराजगी जाहिर की और विधि विभाग पर 10 हजार की कॉस्ट लगाई है. साथ ही विधि और सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिवों को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने का आदेश दिया है. मामले पर अगली सुनवाई 18 अप्रैल को तय की गई है.


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