MP News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने ही दफ्तर पर लगा दिया जुर्माना, जानें क्यों
Madhya Pradesh High Court News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में लापरवाही के लिए अपने ही दफ्तर पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाकर अनोखी नजीर पेश की है.
Madhya Pradesh High Court News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक मामले में लापरवाही के लिए अपने ही दफ्तर पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाकर अनोखी नजीर पेश की है. दरअसल हाईकोर्ट की एक पर्सनल असिस्टेंट को प्रमोशन देने के मामले में हाईकोर्ट दफ्तर से चूक हुई थी. इसके बाद उनके अभ्यावेदन पर उन्हें प्रमोशन तो दिया गया लेकिन नोशनल और प्रमोशन के बीच वेतन में अंतर की राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा था. जिसको लेकर उन्होंने एक याचिका दायर की थी और इसी पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अपने ही दफ्तर से हुई गलती को स्वीकार करते हुए जुर्माना लगाने का आदेश दिया.
आपको बताते चलें कि याचिकाकर्ता प्राचीन पांडे मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर पीठ में पर्सनल असिस्टेंट के पद पर कार्यरत थी. जस्टिस शील नागू और जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की डबल बेंच ने याचिका पर सुनवाई के दौरान अपने आदेश में कहा कि बिना किसी गलती के कर्मचारी को वेतन अंतर से वंचित रखना अनुचित एवं हाई कोर्ट कार्यालय की भूल है. कोर्ट ने इसके लिए हाई कोर्ट के दफ्तर या प्रशासन पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि इसका भुगतान याचिकाकर्ता को 30 दिन के अंदर डिजिटल माध्यम से कर दिया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता को प्रमोशन के बाद वेतन में आए अंतर का भुगतान भी 10 फ़ीसदी ब्याज के साथ करने के निर्देश हाई कोर्ट की डबल बेंच ने दिए हैं.
ज्ञात हो कि याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए एडवोकेट आदर्श हीरा और शांतनु अयाची ने कोर्ट को बताया कि प्राची पांडेय हाई कोर्ट में पर्सनल असिस्टेंट के पद पर कार्यरत थी. हाईकोर्ट ने 30 अक्टूबर 2018 को वरिष्ठता में उनसे जूनियर रश्मि रोनाल्डो विक्टर प्रमोशन दे दिया. इसके खिलाफ प्राची ने हाईकोर्ट प्रबंधन को तुरंत एक आवेदन दिया. इसके बाद डीपीसी करके 25 अगस्त 2019 को प्राचीन पांडेय को सीनियर पर्सनल असिस्टेंट के पद पर प्रमोट कर दिया गया लेकिन लेकिन प्रमोशन देने में हुई चूक की अवधि के दौरान का बढ़ा हुआ वेतन देने से हाईकोर्ट प्रशासन ने मना कर दिया इसके बाद प्राची पांडेय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर वेतन के अंतर के भुगतान की मांग की.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तमाम मामलों का हवाला देते हुए कहा कि प्राची पांडेय के साथ प्रमोशन में भेदभाव तथा वेतन में अंतर का भुगतान ना करना हाईकोर्ट कार्यालय की त्रुटि है. इसलिए वह नोशनल और प्रमोशन के बीच के वेतन का अंतर प्राप्त करने की अधिकारी है.
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