जबलपुर:  मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ( Madhya Pradesh High Court)  ने एक अहम अंतरिम आदेश (Interim Order) के जरिये मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) परीक्षा 2019 के परिणामों को विचाराधीन याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया है. जस्टिस शील नागू एवं जस्टिस सुनीता यादव की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य शासन और मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) को जवाब पेश करने के लिए आठ सप्ताह की मोहलत दी है.


पहले से विचाराधीन 45 याचिकाओं पर एक साथ हो रही सुनवाई


इस मामले में हाईकोर्ट में पहले से विचाराधीन 45 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो रही है. इन याचिकाओं में पीएससी नियमों की संवैधानिकता एवं प्रारंभिक परीक्षा 2019 के घोषित परिणाम की वैधता को चुनौती दी गई है. उक्त असंवैधानिक नियमों के तहत कुल आरक्षण 113 प्रतिशत था. ये नियम आरक्षित वर्ग के प्रतिभावन छात्रों को अनारक्षित, ओपन सीट पर माइग्रेट करने से रोकते थे. हाईकोर्ट के निर्देश के बाद 20 दिसम्बर, 2021 को इन नियमों को पीएससी ने निरस्त कर दिया था.


पीएससी परीक्षा नियमों में लागू असंवैधानिक नियमों के खिलाफ दायर की गई है याचिका


याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने दलील दी कि पीएससी परीक्षा-2019 का विज्ञापन 14 नवंबर, 2019 को जारी किया गया था. MPPSC को उस समय जो नियम थे, उन्हीं के अनुरूप प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के परिणाम घोषित किए जाने चाहिए थे. लेकिन ऐसा न करते हुए पीएससी परीक्षा नियमों में 17 फरवरी, 2020 को संशोधन करते हुए असंवैधानिक नियम लागू कर दिए गए. इन्हीं असंवैधानिक नियमों के खिलाफ याचिका दायर की गई है. जिसके बाद राज्य शासन ने 20 दिसंबर, 2021 को पुनः नियमों में संशोधन कर दिया. पीएससी परीक्षा-2019 अंतर्गत मुख्य परीक्षा के परिणाम 31 दिसंबर, 2021 को जारी किए गए.ये परिणाम 17 फरवरी, 2020 वाले असंवैधानिक नियमों को लागू करके जारी किए गए.17 फरवरी, 2020 के नियमों के तहत आरिक्षत वर्ग के उम्मीदवार उच्चतम अंक होने पर भी अनारिक्षत पद पर चयनित नहीं किए जा सकते थे.


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