MP High Court Comment On False Rape Allegation: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने कानून के प्रावधानों का दुरुपयोग कर उसका मखौल उड़ाने वालों पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है. दुष्कर्म के आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में यह मामला आया. इसमें पहले पीड़िता ने जबरदस्ती दुष्कर्म (Rape) की एफआईआर (FIR) दर्ज कराई. उसके बाद बयान में भी वही बात दोहराई, लेकिन फिर ट्रायल कोर्ट में कहा कि उसने दबाव में झूठा आरोप लगाया है.
कोर्ट ने एसपी से 15 दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा
हाई कोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने कहा कि ऐसा करना कानून का मजाक उड़ाना है. कोर्ट ने मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के पुलिस अधीक्षक को इस मामले की सही तरीके से जांच करने के निर्देश दिए है. कोर्ट ने कहा यदि जांच में पाया गया कि पीड़िता ने झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करें. कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि इसमें गैर जमानती मामला बनता है तो उसके लिए भी पुलिस कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है. कोर्ट ने एसपी को 15 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए है.
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पीड़िता पर बयान से मुकरने के आरोप
दरअसल सीहोर के रेहटी पुलिस में गगन अग्रवाल के खिलाफ पीड़िता ने दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज कराई थी. आरोपी की ओर से हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन पेश किया गया था. आवेदक की ओर से दलील दी गई कि ट्रायल कोर्ट में जमानत आवेदन पर सुनवाई के दौरान पीड़िता ने हलाफनामे में कहा कि दुष्कर्म नहीं किया बल्कि उसने पुलिस के कहने पर रिपोर्ट दर्ज कराई. वहीं शासन की ओर से पैनल लॉयर प्रकाश गुप्ता ने कहा कि पीड़िता ने एफआईआर और सीआरपीसी की धारा 161 एवं 164 के तहत बयान दर्ज कराने में भी दुष्कर्म का आरोप लगाया था. बाद में पीड़िता अपने बयान से मुकर गई. सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोपी को जमानत का लाभ तो दे दिया, लेकिन कानून के प्रावधानों के दुरुपयोग को रोकने के मकसद से मामले की जांच के निर्देश दिए है. कोर्ट ने कहा कि इससे उन लोगों को सबक मिलेगा, जो कानून का दुरुपयोग करते हैं और अदालत का वक्त बर्बाद करते है.
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