Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने रीवा (Rewa) के निवासी महादेव प्रसाद पांडे के इस्तीफा देने और उसे स्वीकार किए जाने के 19 साल बाद सेवा में वापस बहाली की मांग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस्तीफा स्वीकार होने के बाद उसे वापस लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती. इसके अलावा हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करने के आधार के रूप में इस्तीफा वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने में याचिकाकर्ता की ओर से अत्यधिक देरी का भी हवाला दिया.


दरअसल, रीवा निवासी याचिकाकर्ता महादेव प्रसाद पांडे ने अपनी याचिका में कहा कि वह पुलिस विभाग में कॉन्सटेबल के पद पर कार्यरत थे. "उत्पीड़न" के कारण, उन्होंने फरवरी 1994 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया. जून 1994 में पुलिस अधीक्षक ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया.  इसके बाद, उन्होंने इस्तीफा वापस लेने के लिए आवेदन किया, जिसे इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि इसके बाद पुनर्नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है.


याचिका की गई खारिज
सुनवाई के दौरान पता चला कि याचिकाकर्ता महादेव प्रसाद पांडे ने शुरुआत में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था, जिसे बाद में उसने वापस ले लिया. इसके अलावा याचिकाकर्ता को अपने आचरण के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ा था. इस्तीफे के 16 साल बाद 2010 में महादेव प्रसाद पांडे ने इस्तीफा वापस लेने की अर्जी दी, जिसे नियमानुसार खारिज कर दिया गया था. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने मामले में द्विपक्षीय प्रकृति का हवाला देते हुए कहा कि इस्तीफा स्वीकार होने के बाद उसे वापस लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती. साथ ही उन्होंने याचिकाकर्ता महादेव प्रसाद पांडे की याचिका खारिज कर दी.


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