MP High Court News: मध्य प्रदेश के दो आईएएस अधिकारी शुक्रवार (18 अगस्त) को जेल जाने से बच गए.दरअसल, दोपहर में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने अवमानना के मामले में उन्हें 7 दिन की जेल की सजा सुनाई थी. लेकिन शाम को चीफ जस्टिस की डबल बेंच ने सजा पर रोक लगा दी. हालांकि,सजा देते वक्त हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के जज ने दोनों अधिकारियों के रवैये पर तल्ख टिप्पणी भी की.
क्या हुआ हाई कोर्ट में
यहां बता दें कि शुक्रवार को राज्य की ब्यूरोक्रेसी में उस वक्त हड़कम्प मच गया जब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने छतरपुर के तत्कालीन कलेक्टर शीलेंद्र सिंह (आईएएस) और तत्कालीन एडीशनल कलेक्टर अमर बहादुर सिंह (आईएएस) को अदालत की अवमानना प्रकरण में दोषी मानते हुए 7 दिन के साधारण कारावास की सजा सुनाई. शुक्रवार की दोपहर जस्टिस जीएस आहलूवालिया की एकलपीठ ने जेल की सजा के साथ दोनों अवमाननाकर्ता अधिकारियों को अर्थदंड से भी दंडित किया.कोर्ट ने रजिस्ट्रार जुडीशियल को निर्देश दिए कि दोनों अधिकारियों का जेल वारंट तैयार किया जाए.
वहीं,दूसरी ओर शाम को चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने एकलपीठ के दोनों आईएएस अधिकारियों को जेल भेजने के फैसले पर रोक लगा दी.चीफ जस्टिस रवि मलिमठ की अगुवाई वाली पीठ ने एकलपीठ के उस आदेश पर भी रोक लगा दी जिसमें दोनों अधिकारियों को अवमानना का दोषी करार दिया गया था.
हाई कोर्ट ने माना था अवमानना का दोषी
यहां बताते चलें कि जस्टिस अहलूवालिया की कोर्ट ने 2 अगस्त 2023 को दोनों अधिकारियों को कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का दोषी माना था.शुक्रवार को कोर्ट ने इस प्रकरण में दोनों अधिकारियों को सजा देने पर फैसला सुनाया.एकलपीठ का फैसला आते ही दोनों अधिकारियों की ओर से चीफ जस्टिस की कोर्ट में अवमानना की अपील प्रस्तुत की गई.शीलेन्द्र सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय अग्रवाल और अमर बहादुर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने चीफ जस्टिस की कोर्ट में एकलपीठ के फैसले को अनुचित बताते हुए स्थगन की मांग की.
जस्टिस अहलूवालिया की एकलपीठ ने आईएएस शीलेंद्र सिंह के रवैये पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि पछतावा जताने की जगह अवमाननाकर्ता अधिकारी कोर्ट को यह सुझाव दे रहे हैं कि उन्हें क्या सजा मिलनी चाहिए.अधिकारी के इस रवैये को किसी भी सूरत में सराहा नहीं जा सकता.कोर्ट ने कहा कि शीलेंद्र सिंह ने अपने जवाब में खुद इस बात को स्वीकार किया है कि उनके ही निर्देश पर ओआईसी नियुक्त किया गया था,जो गलत प्रक्रिया थी.शीलेंद्र सिंह ने कोर्ट से कहा था कि उन्हें सजा के तौर पर केवल चेतावनी दी जाए.वहीं,कोर्ट ने अमर बहादुर सिंह के रवैये की सराहना करते हुए कहा कि कम से कम उन्होंने सद्भाव दिखाते हुए अपनी जेब से याचिकाकर्ता को आधा वेतन देने की पेशकश तो की थी.
क्या है पूरा मामला
प्रकरण के अनुसार छतरपुर स्वच्छता मिशन के तहत जिला समन्वयक रचना द्विवेदी को बड़ा मलहरा स्थानांतरित कर दिया गया था.इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर करते हुए दलील दी गई कि संविदा नियुक्ति में स्थानांतरण करने का कोई प्रावधान नहीं है.याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता डीके त्रिपाठी ने बताया कि इस मामले में हाईकोर्ट ने 10 जुलाई 2020 को स्थानांतरण आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी.हाईकोर्ट की रोक के बावजूद याचिकाकर्ता को बड़ा मलहरा में ज्वॉइनिंग नहीं देने के कारण सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.इसके बाद याचिकाकर्ता ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी.
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