MP News: हाई कोर्ट ने जबलपुर के कमिश्नर 10 जनवरी को अदालत में तलब किया, जानें क्या है नाराजगी की वजह
Jabalpur News: जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर पदस्थ डॉक्टर प्रियदर्शिनी तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने ये आदेश दिया है.
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जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर के कमिश्नर को इसी माह की 10 तारीख को सुबह सवा दस बजे कोर्ट में तलब किया है.इसी के साथ हाईकोर्ट ने दो बार बिना कोई वाजिब कारण जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विभाग में प्रोफेसर के पद पर साक्षात्कार टालने पर कड़ी नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने कहा है कमिश्नर बी चंद्रशेखर खुद हाजिर होकर स्पष्टीकरण दें कि दो बार साक्षात्कार तय करने के बाद बिना किसी कारण निरस्त क्यों कर दिया.
क्या कहा है हाई कोर्ट ने
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच के जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने शासकीय अधिवक्ता को निर्देश दिए है कि कमिश्नर को मंगलवार 10 जनवरी को सुबह सवा दस बजे हाजिर कराएं.यहां बता दें कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर पदस्थ डॉक्टर प्रियदर्शिनी तिवारी ने याचिका दायर कर साक्षात्कार नहीं कराने को चुनौती दी है.
बिना कारण बताए रद्द किया इंटरव्यू
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया कि स्त्री रोग विभाग में अप्रैल 2021 में अनारक्षित के लिए प्रोफेसर (सीधी भर्ती) का एक पद बढ़ाया गया था.उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता ने आवेदन किया है. इसके लिए तीन नवंबर 2022 को उनका साक्षात्कार निर्धारित किया गया.बिना किसी ठोस कारण के तय तिथि को साक्षात्कार निरस्त कर दिया गया.इसके बाद दोबारा 10 नवंबर को फिर साक्षात्कार निर्धारित किया गया.याचिका में आरोप लगाया गया है कि 10 नवंबर को को डॉक्टर प्रियदर्शिनी तिवारी साक्षात्कार के लिए दिन भर बैठी रहीं,लेकिन उनका इंटरव्यू नहीं लिया गया.
उन्होंने कॉलेज के प्रशासक (कमिश्नर) से कारण पूछा तो उन्होंने कोई कारण बताए बिना इंटरव्यू निरस्त कर दिया.याचिकाकर्ता की ओर से यह आरोप भी लगाया गया है कि विभाग की ही एसोसिएट प्रोफेसर ने संभागायुक्त से कहा है कि उक्त पद को आरक्षित श्रेणी का कर दें क्योंकि पूर्व में एसटी का एक पद अनारक्षित किया जा चुका है.आरोप लगाया गया कि एसोसिएट प्रोफेसर को रिक्त पद पर पदस्थ कराने की मंशा से संभागायुक्त ने याचिकाकर्ता का साक्षात्कार नहीं कराया.
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