MP High Court on MPPSC Exam: एमपीपीएससी (MPPSC)की एक चूक से प्रारंभिक परीक्षा में सही उत्तर देने के बावजूद चार उम्मीदवारों को दो अंक से फेल कर दिया गया. अब मप्र हाईकोर्ट (MP High Court) ने उन्हें अंतरिम राहत देते हुए याचिकाकर्ताओं (फेल उम्मीदवारों) को पीएससी मुख्य परीक्षा में शामिल करने के निर्देश दिए हैं. जस्टिस एसए धर्माधिकारी की बेंच ने राज्य शासन व पीएससी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है. अब इस मामले में अगली सुनवाई चार अप्रैल को होगी.
क्या है चुनौती
इस मामले में याचिकाकर्ता शुभांगी, नेहा, पृथ्वी व सुमित की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि पीएससी द्वारा 28 दिसंबर, 2020 को जारी विज्ञापन के आधार पर 25 जुलाई 2021 को प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की गई थी. जिसका परिणाम 15 जनवरी 2022 को घोषित किया गया. परीक्षा परिणामों में याचिकाकर्ता फेल घोषित कर दिए गए. महज दो अंक कम होने के कारण वे मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित हो गए. चूकि स्व-मूल्यांकन के आधार पर उनको अपने पास होने की पूरी उम्मीद थी. अतः दो अंक कम दिए जाने को याचिका के जरिये चुनौती दी गई है.
क्या था प्रश्न
सुनवाई के दौरान कोर्ट को अवगत कराया गया कि पीएससी परीक्षा में प्रश्न था- आदि ब्रह्मसमाज की स्थापना किसने की थी? इसका सही उत्तर विकल्प क्रमांक-दो केशवचंद सेन था. लेकिन पीएससी ने उत्तर क्रमांक- एक देवेंद्रनाथ टैगोर को सही मानकर अंक नहीं दिए. भोज मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पाठ्य सामग्री के अलावा अन्य लेखकों की पुस्तकों में भी केशवचंद सेन को ही संस्थापक माना गया है.
क्या दिए निर्देश
इस दलील को सुनने के पश्चात जस्टिस एस ए धर्माधिकारी ने याचिकर्ता चारों उम्मीदवारों को राहत देते हुए पीएससी से उन्हें मुख्य परीक्षा में शामिल करने के निर्देश दिए.
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